अब नीतीश के मंत्री ने खुले में नमाज़ पर जतायी आपत्ति, नारायण प्रसाद बोले.. रोक लगना है जरूरी

अब नीतीश के मंत्री ने खुले में नमाज़ पर जतायी आपत्ति, नारायण प्रसाद बोले.. रोक लगना है जरूरी

PATNA : खुले में नमाज को लेकर बीजेपी विधायक के हरी भूषण ठाकुर बचौल ने सबसे पहले आपत्ति जताई थी. उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग की तो नीतीश कुमार ने इसे फालतू का बयान करार दिया. इस विषय पर नीतीश कुमार का सॉफ्ट कार्नर है. लेकिन अब नीतीश कैबिनेट के मंत्री ने ही खुले में नमाज पर रोक लगाने की जरूरत बताई है. नीतीश कैबिनेट में बीजेपी कोटे से मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा है कि खुले में नमाज अदा करने का वह पुरजोर विरोध करते हैं.


मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा है कि हर धर्म की अपनी सीमा होती है. हिंदू धर्म में हम मंदिरों के अंदर पूजा करते हैं. इसी तरह इस्लाम धर्म में नमाज के लिए मस्जिद और ईदगाह की व्यवस्था है. लेकिन खुले में नमाज से आम लोगों को परेशानी होती है. कोई भी धर्म इसकी इजाजत नहीं दे सकता. मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा कि वह खुले में नमाज किए जाने का विरोध करते हैं. इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए.


वहीं भाजपा के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी ने भी कहा कि खुले में नमाज़ नहीं होनी चाहिए. जेडीयू के उपाध्यक्ष मनीष उपाध्याय ने कहा सड़क पर नमाज़ जायज़ है. इस पर मिथिलेश तिवारी ने कहा कि वह कानून बनाने वाले हैं तो वो जानें. हम यूपी और असम में गठबंधन की सरकार चलाते हैं. सरकार का ये कर्तव्य है कि वह सभी धर्म वालों के साथ एक सामान विचारधारा की नीति अपनाये. अगर किसी के किसी प्रकार की कार्रवाई से समाज के लोगों को ही दिक्कत होने लगे तो इस पर समय समय पर विचार करना चाहिए. 


उन्होंने कहा कि सड़कों पर इस तरह का आयोजन नहीं होना चाहिए. एक छोटा सा कथा पूजा करना होता है तो एसडीओ से परमीशन लेना पड़ता है. और इतना बड़ा बड़ा नमाज़ के लिए मीटिंग होता है तो कोई परमीशन नहीं लेता. अगर ऐसा है तो सबको छूट मिलनी चाहिए.


बता दें कि बिहार एनडीए में विवादित मुद्दों को लेकर जिस तरह बीजेपी और जेडीयू आमने सामने नजर आ रहे हैं उसे देखकर लगता है कि यह सब कुछ यूपी चुनाव के नजरिए से हो रहा है. यूपी चुनाव के मद्देनजर बीजेपी हिंदू वोटों का बिखराव नहीं चाहती है. इसलिए वह अपने कट्टर हिंदुत्ववादी एजेंडे पर चल पड़ी है. बिहार में बीजेपी के विधायक से लेकर मंत्री तक इसी मकसद से बयान दे रहे हैं, ऐसा सियासी जानकार मानते हैं.