बिहार बजट 2021 : आर्थिक चुनौतियों के बीच अपना पहला बजट पेश करेंगे तारकिशोर प्रसाद, टैक्स कलेक्शन कम होने से राहत की उम्मीद नहीं

बिहार बजट 2021 : आर्थिक चुनौतियों के बीच अपना पहला बजट पेश करेंगे तारकिशोर प्रसाद, टैक्स कलेक्शन कम होने से राहत की उम्मीद नहीं

PATNA : बिहार सरकार सोमवार यानी कल विधानसभा में अपना बजट पेश करेगी. वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद बजट पेश करेंगे. वित्त मंत्री के तौर पर तार किशोर प्रसाद का यह पहला बजट होगा लेकिन आर्थिक चुनौतियों के बीच बजट को संतुलित बनाए रखना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. कल बजट पेश करने से पहले तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि चुनाव के समय में एनडीए ने जनता से जो भी वादे किये थे उन वादों पर खरा उतरने वाला बजट होगा साथ ही कोरोना के कारण बिहार की अर्थव्यवस्था पीछे चली गई है उसे भी पटरी पर लाने का काम इस बजट के जरिये नीतीश सरकार करेगी. 


सोमवार को सुबह 11:00 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी. सबसे पहले प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही होगी. उसके बाद सदन में ध्यानाकर्षण सूचना है और उस पर सरकार का जवाब लिया जाएगा. भोजन अवकाश के बाद 1:00 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू होगी तो उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद अपना पहला बजट सदन में पेश करेंगे. कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार राज्य सरकार का बजट का आकार पहले से कोई बहुत ज्यादा बड़ा नहीं होगा. बीते साल सरकार का 2 लाख 11 हजार 761 करोड़ रुपए का था जो इस बार लगभग 2 लाख 15 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है.


कोरोना जैसी महामारी के कारण केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति भी प्रभावित हुई है. उसका कर संग्रह कम हुआ है. लिहाजा बिहार सरकार के भी कर संग्रह पर असर पड़ना स्वाभाविक है. बिहार में शराबबंदी के कारण पहले ही कर संग्रह का आकार छोटा होता रहा है और ऐसे में पेट्रोल-डीजल जैसे उत्पादों पर राज्य सरकार की तरफ से लगाया जाने वाला टैक्स राजस्व संग्रह का एक बड़ा जरिया है. देशभर में पेट्रोल डीजल की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन इसके बीच इस बात की उम्मीद ना के बराबर है कि राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल पर अपनी तरफ से लगाने जाने वाले टैक्स में कोई कटौती करेगी. फिलहाल पेट्रोल पर लगभग ₹26 और डीजल पर लगभग ₹19 का टैक्स बिहार सरकार की तरफ से लगाया जाता है.


केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रीय राशि की कटौती और तमाम ऐसे मुद्दे हैं जो बजट के सामने नए चुनौतियों को खड़ा कर रही हैं. ऐसे में राज्य सरकार की तरफ से बजट को कैसे संतुलित रखा जाता है यह देखना बेहद दिलचस्प होगा. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बिहार के विकास सदन को भले ही राष्ट्रीय औसत से ज्यादा पाया गया हो लेकिन राजस्व संग्रह के मामले में बीते साल जो लक्ष्य तय किया गया था उसके बेहद कम रहने की उम्मीद है.