आखिरकार राम ने हनुमान को गले लगा ही लिया: NDA की बैठक का नजारा, चाचा-भतीजा भी गले मिले, जानिये कैसे जला चिराग?

आखिरकार राम ने हनुमान को गले लगा ही लिया: NDA की बैठक का नजारा, चाचा-भतीजा भी गले मिले, जानिये कैसे जला चिराग?

PATNA: दिल्ली में आज हुई एनडीए की बैठक में हनुमान का वनवास खत्म होता दिखा. करीब तीन सालों से राम ने अपने हनुमान को दूर कर रखा था. आज गले लगा लिया. एनडीए की बैठक में चाचा-भतीजे भी गले मिले, जो एक दूसरे के जानी दुश्मन की तरह लड़ रहे थे. 


NDA की बैठक में जला चिराग

दिल्ली में आज हुई एनडीए की बैठक में बिहार से चार पार्टियों के नेता शामिल हुए थे. भाजपा ने इस बैठक में पशुपति कुमार पारस, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को शामिल होने का न्योता दिया था. चारो इस बैठक में शामिल हुए. लेकिन बिहारी नेताओं में चिराग पासवान पर ही ज्यादा फोकस रहा. बैठक में मौजूद भाजपा के वरीय नेताओं ने चिराग पासवान का खासा तवज्जो दिया.


नरेंद्र मोदी ने गले लगाया

करीब तीन साल पहले की बात है, जब चिराग पासवान ये एलान करते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम हैं और वे उनके हनुमान हैं. लेकिन राम ने हनुमान को वनवास दे दिया था. चिराग पासवान की पार्टी टूटी, उन्हें एनडीए से बाहर जाना पड़ा. लेकिन आज राम ने हनुमान को गले लगा लिया. एनडीए की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री वहां मौजूद नेताओं ने मिल रहे थे. इस दौरान जब वे चिराग पासवान के पास पहुंचे तो चिराग ने आगे बढ़ कर उनके पैर छुए. इसके बाद नरेंद्र मोदी ने चिराग पासवान को गले लगा लिया. 


चाचा-भतीजे भी गले मिले

सिर्फ राम और हनुमान ही गले नहीं मिले बल्कि चाचा-भतीजे का भी मिलन हुआ. चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच का रिश्ता जगजाहिर है. एनडीए की बैठक में जाने से पहले भी चिराग पासवान ने एलान किया कि वह हर हाल में हाजीपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे. वहीं पारस ने कहा कि वे किसी हाल में हाजीपुर नहीं छोड़ेंगे. लेकिन बैठक के अंदर कुछ अलग ही हुआ. चिराग पासवान जब बैठक में पहुंचे तो वहां पारस पहले से मौजूद थे. चिराग ने आगे बढ़ कर अपने चाचा का पैर छुआ. इसके बाद पारस ने पहले उनकी पीठ ठोंक कर आशीर्वाद दिया फिर गले से लगा लिया. 


ये अलग बात है कि चाचा-भतीजे के गले मिलने के बाद भी दोनों के बीच सियासी लड़ाई खत्म हो जायेगी ये कहा नहीं जा सकता. पशुपति कुमार पारस कई दफे कह सकते हैं कि अब चिराग से उनका कोई संबंध नहीं है. पारस कहते रहे हैं कि दूध फटने के बाद फिर से जुड़ता नहीं है. वैसे ही चिराग से उनका जो रिश्ता टूटा है वह जुड़ेगा नहीं. हालांकि चिराग अपने चाचा के बारे में सीधे तौर पर कुछ बोलने से परहेज करते रहे हैं लेकिन इशारों में वे लगातार हमला बोलते रहे हैं.