DESK : कांग्रेस रविवार से राहुल गांधी के नेतृत्व में मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू कर रही है। इसके जरिये पार्टी का प्रयास होगा कि लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को विमर्श के केंद्रबिंदु में लाया जाए। यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर की राजधानी इंफाल के निकट थोबल से शुरू होगी और मार्च के तीसरे सप्ताह में मुंबई में इसका समापन होगा।
दरअसल, पहले ये यात्रा इम्फाल के पैलेस ग्राउंड से शुरू होनी थी। लेकिन, राज्य की बीजेपी सरकार की इजाजत न मिलने के कारण अब ये यात्रा मणिपुर के ही थौबल जिले के खोंगजोम से शुरू होने जा रही है। पहले तो सरकार ने यात्रा की अनुमति देने से ही इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में सशर्त परमिशन दे दी है। राहुल गांधी ने यात्रा पर निकलने से पहले ये भी समझाने की कोशिश की है कि वो भारत जोड़ो न्याय यात्रा किसे इंसाफ दिलाने के लिए कर रहे हैं। राहुल गांधी यात्रा के मकसद के तीन आयाम बताया है।
यात्रा को लेकर राहुल गांधी एक फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं, 'मेरे प्यारे बब्बर शेरों और शेरनियों, कमर कस कर तैयार हो जाओ - अन्याय के विरुद्ध, ये है न्याय का युद्ध.' और उसके साथ ही मिस्ड कॉल देकर भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने इसको लेकर जो तीन आयाम बताए है उसमें कहा गया है कि
1. आर्थिक न्याय: बेरोजगार युवाओं, कर्ज में डूबे किसानों और महंगाई की मार के बीच पढ़ाई, कमाई और दवाई के लिए संघर्ष करते गरीबों के साथ न्याय।
2. सामाजिक न्याय: वंचितों के अधिकारों और बेटियों के आत्मसम्मान के साथ न्याय।
3. राजनीतिक न्याय: स्वतंत्रता, समानता और मानवीय गरिमा के आदर्शों के साथ न्याय।
वही, INDIA ब्लॉक के सहयोगी दल भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर नाराज बताये जाते है। विपक्षी गठबंधन के प्रमुख सहयोगी दल जेडीयू के नेता केसी त्यागी तो कांग्रेस की मंशा पर ही सवाल उठाते देखे गये। केसी त्यागी का कहना था कि चुनाव के ऐन मौके पर ऐसी यात्रा अकेले निकाल कर कांग्रेस नेतृत्व क्या जताने की कोशिश कर रहा है? क्या ये यात्रा INDIA ब्लॉक की तरफ से नहीं निकाली जा सकती थी? आखिर कांग्रेस ने यात्रा फाइनल करने से पहले सहयोगी दलों से राय मशविरा क्यों नहीं किया?
उधर, राहुल के इस यात्रा से यदि गठबंधन के फायदे की बात करें तो सबसे पहले इसके जरिए विपक्ष के अभियान के लिए यात्रा लॉन्चपैड हो सकती है। इसके साथ ही अगर इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी कहीं भी कोई अच्छी राजनीतिक चर्चा करते हैं और खुद को वोट देने की अपील करते है यो जाहिर सी बात है की इसका फायदा अंत में इंडिया को ही मिलेगा।
इसके अलावा राहुल गांधी तो वैसे भी पूरे साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हमलावर देखे जाते हैं, अब वो उन्हें आसानी से भाजपा को घेरने का मौका मिल रहा है तो उनका इन मौके पर आक्रामक होना स्वाभाविक है। इसके इतर हम यदि इस यात्रा के फायदे और करीब से देखें तो राहुल गांधी की न्याय यात्रा कांग्रेस के लिए तो हर हिसाब से फायदेमंद होगी। जैसे भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई हो गया था, एक बार फिर वैसी ही संभावना जताई जा सकती है। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी कभी किसी को गले लगाते, कभी जूते के फीते बांधते देखे गये थे, आगे भी वैसा ही करेंगे - और मान कर चलना चाहिये कि मीडिया में ऐसी चीजों की चर्चा तो होगी ही और इससे इंडिया का भी प्रचार -प्रसार होगा।