आदिवासी समाज के लोगों ने रांची में दिखाई ताकत, कुरमी समाज पर लगाया हकमारी का आरोप

आदिवासी समाज के लोगों ने रांची में दिखाई ताकत, कुरमी समाज पर लगाया हकमारी का आरोप

RANCHI : रविवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में आदिवासी समाज के लोगों ने महाजुटान कर आदिवासी बचाओं महारैली कर अपनी ताकत दिखाई। प्रदेश के अलग अलग इलाकों से रांची में जुटे आदिवासी समाज के लोगों ने तेज धूप के बीच इकट्ठा होकर आदिवासियों की रक्षा का संकल्प लिया। महारैली के संयोजक ने बताया कि आदिवासी समाज को सबसे ज्यादा खतरा कुरमी समाज से है जो आदिवासी समाज के लिए हकमारी कर रहा है। उन्होने कहा कि कुरमी समाज के लोग आंदोलन करके आदिवासी समाज के लोगों की हकमारी कर रहे है, साथ ही राज्य में अबतक हमलोगों का पेशा कानून लागू नहीं हुआ है और सबसे जरूरी बात कि स्थानीय नियोजन नीति को भी अभी तक परिभाषित नहीं किया गया है। 


महारैली को संबोधित करते हुए आदिवासी महारैली के संयोजक ने कहा कि कुरमी को आदिवासी बनने से रोकने के लिए हमारे समाज के लोग यहां इकट्ठा हुए है। 10 साल में हमारे आरक्षण का रिव्यू होता है, लोग उपर की ओर जाते है ,हम आदिवासी को आज आरक्षण मिल रहा है कल नहीं भी मिल सकता है। ये चुनौती है पूरे देश में की हम कैसे बचेंगे, जिस तरह से कुरमी को आदिचासी बनाने का प्रयास किया जा रहा है सबसे ज्यादा खतरा हम आदिवासियों को है। उनकी नजर हमारी जमीन पर है, हमारी विधायकी पर है, उनकी नजर हमारी मुख्यमंत्री के कुर्सी पर है। अभी तक जो भी आदिवासी मुख्यमंत्री बने है उनके पीछे माफिया तत्व रहा है। इसलिए वो हमारे समाज को आगे की ओर नहीं जाने देते। 


महारैली को संबोधित कर रही पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि कुरमी समाज ने हमेशा हम आदिवासी समाज के साथ छुआछूत किया आज वो आदिवासी समाज में शामिल होने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगा रहे है। उन्होने आगे कहा कि 2000 से पहले उन्होने कभी दावा नहीं किया आदिवासी होने का लेकिन अब अचानक से ये आदिवासी समाज में शामिल होने के लिए जोर आजमाइश कर रहे है। गीता कोड़ा ने कहा कि जो अभी यहां सरकार है वो भी आदिवासियों के हक में काम नहीं कर रही है इसलिए मैने अपनी पार्टी कांग्रेस को छोड़ दिया। संवैधानिक रूप से कुरमी को आदिवासियों की मान्यता नहीं है, जो जनजातीय शोध संस्थान कि रिपोर्ट में गैर आदिवासी है। आदिवासी जो है वो सनातनी नहीं होते है उनकी अपनी आस्था और अपनी मान्यताएं है। 


गीताश्री ने कहा कि इस रैली के माध्यम से आदिवासियों के बीच संदेश दिया गया है कि आदिवासी समाज को अपनी रक्षा के लिए एकजुट होना होगा। झारखंड ही नहीं ओडिसा, पश्चिम बंगाल , छत्तीसगढ़ से भी लोग इस बात को महसूस कर रहे है कि आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है उनको हासिये पर ठेला जा रहा है। हम रैली के माध्यम से केंद्र सरकार को भी चेतावनी दे रहे है कि वो हमको मिटाने की कोशिश नहीं करें। जनगणना रिकार्ड से हमारे कॉलम को हटा दिया गया है जिसमें हम लोग सरना धर्म अंकित करते थे अब उसे हटा दिया गया है, हमको हिंदू धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश हो रही है।