DESK : कहते है कि जिंदगी कब किस मोड़ पर अपनो का साथ छोड़ जाए और किस मोड़ पर पराये अपने हो जाये कहा नहीं जा सकता. नौ महीने की अनाथ मीनाक्षी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. जिस मां ने उसे जन्म दिया उसने उसे मरने के लिए छोड़ दिया था पर यशोदा मां ने अब उसे अपने गोद में ले लिया है.
जन्म से लेकर नौ महीने तक विशिष्ट दत्तक केंद्र बेगूसराय में पलने वाली इस मीनाक्षी ने छठ के दिन एक अधूरे परिवार को पूरा कर दी. मीनाक्षी को गोद में लेते ही यशोदा मां खुशी से रो पड़ी. 10 साल से बच्चे के लिए तरस रहे एक दंपत्ती ने मिनाधी को गोद ले लिया. जिंदगी के रस्मो रिवाज से अनभिज्ञ मीनाक्षी को आज एक साथ कई खुशियां मिली. जब उसे मां के अलावे पिता और नाना नानी का प्यार भी एक साथ मिल गया. इस नए रिश्ते ने देखते ही देखते एक साथ कई रिश्तों को जन्म दिया और हर किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट भर दिया.
बताया जाता है कि भारत सरकार के सभी संबंधित प्रोटोकॉल को पूरा करने के बाद बुधवार को कोलकाता के प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत और नहर नार्थ 24 परगना के जगगद्दाल थाना क्षेत्र के निवासी कल्याण कांतियान बारु ने अपनी पत्नी सुष्मिता बारू के साथ बच्ची को गोद लिया. बच्ची को गोद में उठाते ही सुष्मिता का चेहरा खिल उठा तथा उन्होंने कहा कि छठी मैया ने आज हमें लक्ष्मी के रूप में अपना आशीर्वाद दिया है. मैं आज मां बन गई. बच्चा गोद लेने के लिए दंपत्ति ने तीन साल पहले आवेदन दिया था. प्रक्रिया पूरी होने के बाद दंपत्ती को मिनाक्षी को सौंप दिया गया. पहले भी संस्थान की कई बच्चियों को गोद दिया गया है. इनमें कई बच्ची को विदेश से आए दंपत्ति ने गोद लिया है. भारत सरकार की ओर से गोद देने की सभी प्रक्रियाएं पूरी की गई तथा जिस बच्चों को किसी दंपत्ति को गोद दिया जाता है उसकी निगरानी भी संस्थान और सरकार की ओर से लगातार की जाती है।