PATNA : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को देश का आम बजट पेश किया. इस दौरान 1 घंटे 48 मिनट के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 बार किसानों का जिक्र किया. लेकिन किसानों के लिए कुछ भी ख़ास एलान नहीं होने के बाद विपक्ष अब मोदी सरकार को निशाने पर ले रही है. आरजेडी नेता और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताया है. तेजस्वी ने कहा कि कृषि कानून लेकर सरकार किसानों को भिखारी बना दी.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने यूनियन बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2022 से किसान की आय दोगुनी कर दी जाएगी लेकिन 2020 में ही कृषि कानून बनाकर किसानों को भिखारी बना रही है. बिहार को इतने दिनों में इस डबल इंजन की सरकार ने आखिर क्या दिया. आपको बता दें कि बजट पेश करने के दौरान किसानों का नाम सुनते ही विपक्षी दलों के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया. जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि सरकार की किसानों की आय दोगुना करने की ओर काम कर रही है. इसपर विपक्षी दल शोर मचाने लगे.
किसानों की आय को दोगुना करने को लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फिर अपने बजट भाषण में ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि हमारी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर कायम है. बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ''पीएम ने 80 मिलियन परिवारों को कई महीनों तक मुफ्त गैस मुहैया कराया, 40 मिलियन से अधिक किसानों, महिलाओं, गरीबों के लिए सीधे नकद राशि मुहैया कराई.''
बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारम ने कहा कि यूपीए सरकार से करीब तीन गुना राशि मोदी सरकार ने किसानों के खातों में पहुंचाई है. वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की ओर से हर सेक्टर में किसानों को मदद दी गई है, दाल, गेंहू, धान समेत अन्य फसलों की एमएसपी बढ़ाई गई. मोदी सरकार में एमएसपी बढ़ाकर उत्पादन लागत का 1.5 गुना किया गया है. सरकार किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है. MSP पर फसल खरीद का कार्य तेजी से जारी है, इसके परिणामस्वरूप किसानों को पर्याप्त भुगतान किए जाने के मामले में बढ़ोत्तरी हुई है. 2020-21 में किसानों को कुल 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. सुनिश्चित कीमत उपलब्ध कराने के लिए एमएसपी व्यवस्था में व्यापक बदलाव हुआ है, जो सभी कमोडिटीज के लिए लागत की तुलना में कम से कम डेढ़ गुना हो गया है. खरीद एक निश्चित गति से निरंतर बढ़ रही है. इसके परिणाम स्वरूप किसानों को भुगतान में भी बढ़ोतरी हुई है.
गेहूं के मामले में, 2013-14 में किसानों को कुल 33,874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. वर्ष 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और 2020-21 में इसमें और सुधार हुआ और किसानों को 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इससे लाभान्वित होने वाले गेहूं किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.36 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी.
धान के लिए, 2013-14 में 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ रुपये थी. वर्ष 2020-21 में यह और सुधरकर 1,72,752 करोड़ रुपये हो गई. इससे लाभान्वित होने वाले धान किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 1.54 करोड़ पर हो गई, जो संख्या 2019-20 में 1.24 करोड़ थी.
इसी तरह, दालों के मामले में 2013-14 में 236 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया गया. 2019-20 में यह धनराशि बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई. इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये है, जो 2013-14 के मुकाबले यह 40 गुना से ज्यादा वृद्धि है.
इसी प्रकार, कपास के किसानों की प्राप्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जो 2013-14 की 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,974 करोड़ रुपये (27 जनवरी 2021) के स्तर पर पहुंच गई. किसानों को पर्याप्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए, सरकार ने वित्त वर्ष 22 में कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. इसी प्रकार, ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष के लिए आवंटन 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. नाबार्ड के अंतर्गत 5,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ बनाए सूक्ष्म सिंचाई कोष को दोगुना कर दिया जाएगा.