1 अप्रैल से बदल जाएंगे ये 10 नियम, सीधा आप पर पड़ेगा असर

1 अप्रैल से बदल जाएंगे ये 10 नियम, सीधा आप पर पड़ेगा असर

DESK : 1 अप्रैल 2020 से नए वित्त वर्ष की शुरुआत होने जा रही है. इसके साथ ही हमारे रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े कई नियम बदलने वाले हैं. आइए हम आपको यहां ऐसे 10 नियम के बारे में बताते हैं जिनका असर 1 अप्रैल से सीधे आमलोगों पर पड़ेगा. 10 नियमों में बैंकों के विलय से लेकर जीएसटी रिटर्न के नियम है.

1. 1 अप्रैल से  देश के 10 सरकारी बैंकों का विलय हो जाएगा और यह चार बड़े बैंक में तब्दील हो जाएंगे. यह हमारे देश के वित्तीय क्षेत्र का सबसे बड़ा विलय होगा. 

2. 1 अप्रैल 2020 से आयकर के नए सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा. नए सिस्टम में खास बात होगी कि आप बिना कोई बचत किए भी छूट प्राप्त कर सकते हैं हालांकि यह पूरी तरह से वैकल्पिक व्यवस्था होगी.


3. 1 अप्रैल से सरकार विदेश यात्रा के कुल पैकेज पर स्रोत पर एकत्रित कर (टीसीएस)लगाएगी. 2020-21 की शुरुआत से विदेश यात्रा पर पांच फीसदी टैक्स चुकाना पड़ सकता है.

4. 1 अप्रैल से नया जीएसटी रिटर्न फॉर्म लाने का फैसला हुआ था इससे आम करदाताओं को काफी आसानी होगी. नया फॉर्म काफी सरल और सीधा होगा जिससे रिटर्न भरने वाले करदाताओं को ज्यादा झंझट नहीं लेना पड़ेगा.

5. 1 अप्रैल से वाहनों को लेकर देश ने बड़ी तब्दीली होने वाली है. अब 1 अप्रैल से देश में सिर्फ बीएस-6 मानक वाले वाहनों की ही बिक्री होगी.कोरोना संकट  को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन अप्रैल में सिर्फ सशर्त 10 दिन तक करने की अनुमति दी है.

 6.1 अप्रैल से दवाइयों से जुड़े नियम भी बदल जाएंगे. सरकार ने सभी मेडिकल डिवाइस को 1 अप्रैल से ड्रग्स  घोषित करने का फैसला लिया है. वहीं ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक की धारा 3 के तहत इंसानों और जानवरों पर इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को औषधि की श्रेणी में रखा जाएगा.


7.1 अप्रैल 2020 से देश में बीएस-6 ग्रेड के  पेट्रोल डीजल मिलने शुरू हो जाएंगे.

8.  सरकार ने एम्प्लॉई पेंशन स्कीम (ईपीएस) नियम में बड़ा बदलाव किया है जो एक अप्रैल 2020 से प्रभावी हो जाएंगे. इस नियम के तहत 26 सितंबर 2008 से पहले हुए रिटायर कर्मियों को  ज्यादा पेंशन मिलेगी.

9.छोटे और मझोले कारोबारियों को 1 अप्रैल, 2020 से नए मानकों पर कर्ज मिलेगा.  इससे ब्याज दर में कमी आएगी.

10.  दूरसंचार कंपनियों ने 1 अप्रैल से मोबाइल डाटा के लिए शुल्क बढ़ाकर न्यूनतम 35 रुपये/जीबी की दर तय करने की मांग की है. जोकि अभी के मौजूदा दर से करीब 7-8 गुना है. अगर सरकार इसे मंजूरी दे देती है तो इंटरनेट का इस्तेमाल महंगा होगा.