1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 12 Dec 2025 04:18:17 PM IST
पिता ने निभाई जिम्मेदारी - फ़ोटो सोशल मीडिया
DESK: इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट कैंसिल होने से देशभर के हजारों यात्री प्रभावित हुए। उसी बीच हरियाणा के रोहतक जिले के मायना गांव का एक परिवार भी बड़ी मुश्किल में फंस गया। लेकिन इस स्थिति में एक पिता ने जिस तरह का फैसला लिया, वह जिम्मेदारी, समर्पण और पिता-पुत्र के रिश्ते की एक अनोखी मिसाल बन गया।
मायना गांव के युवा अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज आशीष चौधरी पंघाल, इंदौर के प्रतिष्ठित डेली कॉलेज में 12वीं के छात्र हैं। परीक्षा से पहले वह कुछ दिनों की छुट्टी बिताने घर आए हुए थे। 6 दिसंबर को कॉलेज में एक सम्मान समारोह था, जिसमें आशीष को सम्मानित किया जाना था, जबकि उनकी प्री-बोर्ड परीक्षा 8 दिसंबर से शुरू होनी थी। दोनों कार्यक्रमों के लिए पिता और बेटे ने दिल्ली से इंदौर की इंडिगो फ्लाइट पहले ही बुक कर रखी थी।
6 दिसंबर को आशीष के पिता खेल प्रेरक और अधिवक्ता राजनारायण पंघाल उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने दिल्ली पहुँचे। लेकिन एयरपोर्ट पर पहुंचते ही परिवार को पता चला कि इंडिगो की इंदौर जाने वाली फ्लाइट अचानक रद्द कर दी गई है। फ्लाइट रद्द होना केवल एक यात्रा समस्या नहीं था, इसका मतलब था कि आशीष सम्मान समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे और उनकी 8 दिसंबर से शुरू होने वाली परीक्षा भी छूट सकती थी। स्थिति तनावपूर्ण थी।
ट्रेन से जाने का विकल्प तलाशा गया। परिवार तुरंत रेलवे स्टेशन पहुंचा और ‘तत्काल’ में टिकट लेने की कोशिश की, लेकिन इंदौर के लिए सीट मिलना लगभग असंभव था। तब पिता राजनारायण पंघाल ने बिना समय गंवाए एक बड़ा फैसला लिया, उन्होंने सोचा कि जो भी हो, बेटे को समय पर इंदौर पहुंचाना है। दिल्ली से इंदौर की दूरी करीब 800 किलोमीटर है, जिसे तय करने में आमतौर पर 12–14 घंटे लगते हैं। उन्होंने उसी शाम कार स्टार्ट की और रातभर लगातार ड्राइव करते रहे। न थकान की परवाह, न मौसम की। बस एक ही चिंता थी कि बेटे की परीक्षा छूट ना जाए। रातभर की लगातार ड्राइव के बाद पिता और बेटा अगली सुबह समय पर इंदौर पहुंच गए।
राजनारायण पंघाल ने बताया कि फ्लाइट कैंसिल की खबर ने हमें हिला दिया था। परीक्षा बच्चे के भविष्य का सवाल है। मैंने तय किया कि चाहे पूरी रात ड्राइव करनी पड़े, लेकिन बेटे को समय पर पहुंचाना है। जब सुबह इंदौर पहुंचे तो सारी थकान खुशी में बदल गई। पिता का यह निर्णय न केवल जिम्मेदारी की मिसाल है, बल्कि तनावपूर्ण स्थिति में दृढ़ता, साहस और परिवार के प्रति प्रेम का अनोखा उदाहरण भी है। आखिरकार उन्होंने बेटे को समय से परीक्षा केंद्र पर पहुंचाया।