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15-Apr-2025 01:22 PM
By KHUSHBOO GUPTA
Supreme Court: चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें नवजात बच्चों की चोरी से जुड़े मामलों पर सख्ती से काम करें। जिस हॉस्पिटल से कोई नवजात बच्चा चोरी हो, सबसे पहले उसका लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए।
वाराणसी और उसके आसपास के अस्पतालों में हुई बच्चा चोरी की घटनाओं के आरोपियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2024 में जमानत दे दी थी। इसके खिलाफ बच्चों के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए इसका दायरा बढ़ा दिया था। कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ डेवेलपमेंट से रिपोर्ट मांगी थी। अब दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे बी पारडीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपियों की जमानत रद्द कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को फैसले में दर्ज किया है कि यह देशव्यापी गिरोह था। इसके चुराए हुए बच्चे पश्चिम बंगाल, झारखंड और राजस्थान तक से बरामद हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को समाज के लिए खतरा बताया और कहा कि इन्हें जमानत देना हाई कोर्ट के लापरवाह रवैये को दिखाता है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के आदेश को चुनौती न देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की भी आलोचना की है।
एक अहम निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला बच्चे को जन्म देने के लिए हॉस्पिटल आती है और वहां से नवजात बच्चा चोरी हो जाए, तो सबसे पहले हॉस्पिटल का लाइसेंस सरकार को रद्द कर देना चाहिए। इससे बच्चा चोरी की घटनाओं में कुछ हद तक लगाम लग सकेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी माता-पिता को सलाह दी है कि वह अस्पताल में अपने नवजात बच्चों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क रहें।