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रावण को कहीं दामाद, तो कहीं प्रथम देवता के रूप में होती है पूजा..दशहरा पर ये है परंपरा

मध्यप्रदेश में दशहरे पर रावण को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है। मंदसौर में रावण को दामाद मानकर आराधना की जाती है, विदिशा में उन्हें प्रथम देवता ‘रावण बाबा’ के रूप में पूजते हैं, जबकि उज्जैन में ब्राह्मण समाज रावण दहन का विरोध कर रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 02 Oct 2025 03:28:44 PM IST

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विजयादशमी पर रावण वध - फ़ोटो सोशल मीडिया

DESK: दशहरा के मौके पर मध्यप्रदेश में रावण को लेकर विभिन्न मान्यताएं देखने को मिलती हैं। कहीं उन्हें दामाद के रूप में पूजा जाता है, कहीं प्रथम देवता मानकर आराधना की जाती है और कहीं रावण दहन का विरोध भी होता है।


मंदसौर: रावण को दामाद मानकर पूजा

मंदसौर में मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी यहां की बेटी थीं। इसी कारण रावण को यहां का दामाद माना जाता है। परंपरा के अनुसार महिलाएं रावण के सामने घूंघट करती हैं और उनके पैरों में धागा बांधकर बीमारियों से मुक्ति और सुख-शांति की कामना करती हैं। दशहरे के दिन नामदेव समाज के लोग रावण मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और वध से पहले क्षमा-याचना भी करते हैं। यहां 41 फीट ऊंची रावण प्रतिमा भी स्थापित है।


विदिशा: प्रथम देवता ‘रावण बाबा’

विदिशा जिले के रावण गांव में रावण को ‘रावण बाबा’ के रूप में प्रथम देवता माना जाता है। यहां लोग किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनकी प्रतिमा के सामने प्रणाम करके करते हैं और नाभि पर तेल चढ़ाते हैं। दशहरे के दिन यहां रावण दहन नहीं होता, बल्कि भंडारे का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालुओं के सहयोग से यहां रावण बाबा का मंदिर भी स्थापित है और विशाल प्रतिमा लेटी अवस्था में विराजमान है, जिसे आज तक कोई हिला नहीं पाया।


उज्जैन: रावण दहन का विरोध

उज्जैन में ब्राह्मण समाज रावण दहन का कड़ा विरोध करता है। उनका कहना है कि रावण दहन ब्राह्मण समाज का अपमान है और शास्त्रसम्मत नहीं है। अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने दशहरा मैदान पर प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की और काली मटकियां फोड़कर विरोध दर्ज कराया। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि रावण दहन बंद नहीं हुआ तो आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा।


उज्जैन में रावण दहन की तैयारियां

विरोध के बावजूद उज्जैन शहर के दशहरा मैदान और कार्तिक मेला ग्राउंड में 101 फीट ऊंचे रावण पुतले का दहन किया जाएगा। इस बार पुतला "ऑपरेशन सिंदूर" थीम पर तैयार किया गया है, जिसमें रावण को आतंकवाद के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है। कलाकारों ने इसे AK-47 और मिसाइल से लैस रूप में बनाया है। दहन के समय भव्य आतिशबाजी भी होगी।