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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Nov 2025 01:25:32 PM IST
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Ayodhya Dhwajarohan : अयोध्या आज एक बार फिर इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई, जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के 161 फीट ऊँचे मुख्य शिखर पर केसरिया धर्म ध्वजा फहराया गया। यह क्षण न केवल धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने मंदिर निर्माण के पूर्ण होने की वैश्विक घोषणा भी कर दी। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के पश्चात यह ध्वजारोहण भव्य मंदिर की गौरवशाली परंपरा को नई ऊँचाई प्रदान करता है।
यह कार्यक्रम विवाह पंचमी जैसे शुभ पर्व पर आयोजित हुआ, जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ गई। सुबह से ही रामनगरी अयोध्या में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था। मंदिर परिसर भक्ति, वैभव और उत्साह का अद्भुत केंद्र बना हुआ था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने चढ़ाई धर्म ध्वजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के गर्भगृह और राम दरबार में विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद मुख्य शिखर पर केसरिया धर्म ध्वजा फहराई। उनकी उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक पल को और भी गरिमामयी बना दिया। जैसे ही 161 फीट ऊँचे शिखर पर धर्म ध्वजा लहराना शुरू हुआ, पूरा वातावरण जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा। हजारों की भीड़ और तमाम अतिथियों की उपस्थिति में यह पल हमेशा के लिए स्मरणीय बन गया।
ध्वजा का केसरिया रंग त्याग, धर्मनिष्ठा और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। इसे रामराज्य के मूल्यों का प्रतिनिधि भी माना जाता है। अयोध्या के हर कोने में दीप, पुष्प और धूप की सुगंध के साथ भक्ति और उल्लास का अनोखा संगम देखने को मिला। श्रद्धालु इस ऐतिहासिक दृश्य को देखकर भाव-विभोर हो उठे। कई भक्तों ने कहा कि यह पल सिर्फ दिव्य नहीं, बल्कि एक युगांतकारी क्षण है, जिसका साक्षी बनने का सौभाग्य उन्हें मिला।
धर्म ध्वजा पर अंकित प्रतीक
धर्म ध्वजा पर तीन पवित्र चिह्न मुख्य रूप से अंकित हैं— सूर्य, ऊँ और कोविदार वृक्ष। ये तीनों चिह्न अपने-अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण अत्यंत पूजनीय हैं।
1. कोविदार वृक्ष
ध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष रघुवंश की परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्राचीन सभ्यता में इसे पारिजात और मंदार के दिव्य संयोग से बना माना जाता है। यह वर्तमान समय के कचनार वृक्ष से मिलता-जुलता है। सूर्यवंश के राजाओं के ध्वज पर यह चिह्न सदियों से अंकित होता रहा है। वाल्मीकि रामायण में भरत के ध्वज पर भी कोविदार वृक्ष का उल्लेख मिलता है। इस वृक्ष को समृद्धि, पवित्रता और शक्ति का प्रतीक माना गया है।
2. ऊँ (ॐ)
‘ॐ’ को सभी मंत्रों का प्राण, सम्पूर्ण सृष्टि का प्रतिनिधि और ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। ध्वजा पर इसका अंकित होना मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति और वैदिक परंपरा का स्पष्ट संकेत है।
3. सूर्य
ध्वज पर अंकित सूर्यदेव विजय, ऊर्जा और धर्म की शक्ति के प्रतीक हैं। यह माना जाता है कि यह ध्वज सम्पूर्ण रूप से सूर्यभगवान का प्रतीक है। सूर्यवंश के राजा राम के वंशज होने के कारण भी यह प्रतीक महत्वपूर्ण है।
मोहन भागवत का प्रेरणादायक उद्बोधन
ध्वजारोहण के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि यह दिन करोड़ों रामभक्तों के परिश्रम, तप और बलिदान का फल है। उन्होंने कहा "इस दिन के लिए कितने राम भक्तों ने अपने प्राण अर्पण किए। मंदिर बनने में भी समय लगता है, और आज यह धर्म ध्वज हमारी संकल्प की पुनरावृत्ति का प्रतीक है। भगवा रंग धर्म, साहस और त्याग की पहचान है।"
भागवत ने आगे कहा कि भारतवर्ष को ऐसा बनाना है जो पूरी दुनिया को शांति और संदेश दे सके। उन्होंने कहा कि यह भव्य मंदिर न सिर्फ हमारे सपने का साकार रूप है, बल्कि उससे भी अधिक शुभकर और दिव्य रूप में खड़ा हो चुका है।
अयोध्या में उत्सव का माहौल
ध्वजारोहण के दौरान अयोध्या की सड़कों पर पुष्प वर्षा हुई। मंदिर परिसर को आकर्षक प्रकाश से सजाया गया। देश-विदेश से आए भक्त इस दिव्य अवसर पर भक्ति में लीन दिखाई पड़े। कई श्रद्धालु हाथों में रामध्वजा लिए जयकारों के साथ वहां उपस्थित थे।
रामनगरी का हर घर, हर गली दीपोत्सव की चमक से भरा हुआ था। मंदिर के शिखर पर लहराती धर्म ध्वजा ने सम्पूर्ण वातावरण को अलौकिकता से भर दिया। लोग इस क्षण को अपने मोबाइल और कैमरे में कैद करते रहे, ताकि यह ऐतिहासिक दृश्य स्मृति में हमेशा जीवंत रहे।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्म ध्वजा का फहराया जाना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सनातन गौरव का पुनरुत्थान है। यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों को रामराज्य के आदर्शों, त्याग, धर्म और मर्यादा की याद दिलाता रहेगा। अयोध्या का यह दिव्य क्षण भारत की आत्मा में बसने वाले राम के वैश्विक संदेश—धर्म, शांति और मानवता—को नई ऊँचाई प्रदान करता है।