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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Sep 2025 03:53:08 PM IST
आधार कार्ड - फ़ोटो GOOGLE
Aadhaar Act: भारत में नागरिकता से जुड़े मामलों को लेकर एक बार फिर चर्चाएं तेज हो गई है। खासतौर पर बिहार में मतदाता सूची पुननिरीक्षण से जुड़े विवाद मामले ने इसको और तेज रफ्तार दे दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि आधार कार्ड भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट 2016 की धारा 9 के तहत, आधार केवल पहचान और पते का प्रमाण है, न कि नागरिकता का।
बता दें कि आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा जारी एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या है, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) जारी करता है। इसमें व्यक्ति की बायोमेट्रिक जानकारी जैसे फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग, साथ ही नाम, जन्मतिथि और पता शामिल होता है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचाना हैं।
दरअसल, बिहार में चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मानने से इनकार कर दिया, जिसके चलते लगभग 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए। इस पर आरजेडी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि आधार को नागरिकता के प्रमाण के रूप में किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
आधार (टारगेटेड डिलीवरी ऑफ फाइनेंशियल एंड अदर सब्सिडीज, बेनेफिट्स एंड सर्विसेज) एक्ट 2016 की धारा 9 कहती है कि आधार नंबर या उसका प्रमाणीकरण किसी व्यक्ति को भारत में नागरिकता या निवास का अधिकार नहीं देता हैं। इससे साफ है कि आधार नंबर केवल पहचान और निवास का प्रमाण है, न कि नागरिकता का। इस बात की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भी पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार के फैसले में की थी, और अब एक बार फिर यह बात दोहराई गई है।
भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कुछ प्रामाणिक दस्तावेज जरूरी होते हैं, जैसे -वैध भारतीय पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, भारत में लंबे समय से रह रहे व्यक्ति का निवास प्रमाण पत्र, नगरपालिका या ग्राम पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र। इसके विपरीत, आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज केवल पहचान या पते का प्रमाण देते हैं, नागरिकता का नहीं।
आधार कार्ड भले ही भारत में एक मजबूत पहचान का जरिया बन चुका हो, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और आधार एक्ट 2016 दोनों इस बात को स्पष्ट रूप से कह चुके हैं। नागरिकता साबित करने के लिए अलग और अधिक प्रामाणिक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।