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Bihar Assembly Session : विधानसभा का सत्र एक से पांच दिसंबर तक, नवनिर्वाचित विधायकों का होगा शपथ ग्रहण

बिहार विधानसभा का सत्र 1 से 5 दिसंबर तक चलेगा। पहले दिन नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण होगा, इसके बाद अध्यक्ष चुनाव और राज्यपाल का अभिभाषण सहित कई महत्वपूर्ण कार्यवाही होंगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Nov 2025 12:29:43 PM IST

Bihar Assembly Session : विधानसभा का सत्र एक से पांच दिसंबर तक, नवनिर्वाचित विधायकों का होगा शपथ ग्रहण

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Bihar Assembly Session : बिहार की नई सरकार के गठन के बाद अब राज्य में विधायी गतिविधियों की रफ्तार तेज होने जा रही है। सरकार ने घोषणा की है कि राज्य विधानसभा का सत्र एक दिसंबर से पांच दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। इस दौरान नए विधायकों का शपथ ग्रहण, विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव, राज्यपाल का अभिभाषण और सरकार द्वारा विभिन्न विधायी कार्यों की शुरुआत जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शामिल होंगे। इस सत्र को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि हालिया चुनावों के बाद पहली बार सभी नवनिर्वाचित विधायक सदन में एक साथ नजर आएंगे और नई सरकार के नीति-निर्माण का खाका भी इसी सत्र से सामने आएगा।


पहले दिन होगा नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण

सत्र का शुभारंभ 1 दिसंबर को नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण से होगा। विधानसभा सचिवालय ने तैयारी पूरी कर ली है। शपथ ग्रहण की प्रक्रिया प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में संपन्न होगी, जिन्हें राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया गया है। जेडीयू के तरफ से सबसे वरिष्ठ विधायक नरेंद्र नारायण यादव को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। वे सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे और नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे।


शपथ ग्रहण का यह अवसर इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि कई नए चेहरे सदन में पहुंचे हैं, जबकि कई अनुभवी विधायकों ने भी अपनी जीत दोहराई है। इस बार सदन में युवाओं की संख्या बढ़ी है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि नीति निर्माण में नए दृष्टिकोण और ऊर्जा का समावेश होगा। विभिन्न दलों के विधायक अपने-अपने राजनीतिक एजेंडे के साथ सदन में प्रवेश करेंगे, जिसके बाद आने वाले पांच वर्षों की राजनीतिक दिशा तय होगी।


इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव

इसके बाद को विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित है। स्पीकर का पद किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करते हैं, बहस और चर्चा को उचित दिशा देते हैं और सदन में अनुशासन बनाकर रखते हैं। राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर उत्सुकता है कि सत्तापक्ष किसे स्पीकर के रूप में प्रस्तुत करेगा और विपक्ष की क्या रणनीति होगी।


अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में मंथन तेज है। अक्सर यह पद ऐसे नेता को दिया जाता है, जो अनुभव, शालीनता और संतुलित दृष्टिकोण के लिए जाना जाता हो। हालांकि विपक्ष भी अपने उम्मीदवार को उतार सकता है, जिससे चुनाव रोचक हो सकता है।


इसके बाद सदन में विधायी कार्य और सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर चर्चा होगी। अपेक्षा है कि सरकार कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पेश कर सकती है, जो उसके कार्यकाल की प्राथमिकताओं को दर्शाएंगे। साथ ही विधानसभा में प्रश्नकाल, अल्पसूचित प्रश्नों, ध्यानाकर्षण प्रस्तावों और विभिन्न विभागों की कार्यवाही की समीक्षा भी होगी।


विपक्ष भी अपनी भूमिका निभाने हेतु तैयार है। वह रोजगार, आर्थिक स्थिति, कानून-व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को सदन में जोर-शोर से उठाने की योजना बना रहा है। विधानसभा सत्र का यह चरण बहस और संवाद का महत्वपूर्ण मंच बनता है, जिसमें सरकार और विपक्ष दोनों एक-दूसरे को जवाबदेह बनाने का प्रयास करते हैं।


सुरक्षा और व्यवस्थाओं के पुख्ता इंतजाम

विधानसभा सत्र को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पटना में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सचिवालय परिसर और विधानसभा भवन में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। साथ ही मीडिया कवरेज और आगंतुकों के प्रवेश को लेकर भी विशेष व्यवस्था बनाई गई है। यह उम्मीद की जा रही है कि पूरा सत्र शांतिपूर्ण और मर्यादित वातावरण में पूरा होगा।