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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 21 Nov 2025 02:16:15 PM IST
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Chirag Paswan : राजनीतिक गलियारों में लंबे समय से राजद (राष्ट्रीय जनता दल) पर परिवारवाद के आरोप लगते रहे हैं। आलोचक कहते हैं कि पार्टी के नेताओं की राजनीतिक पहचान और प्रभाव में व्यक्तिगत क्षमता की बजाय पारिवारिक छवि का असर अधिक दिखाई देता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह छवि राजद के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। ऐसे में अब चिराग पासवान का कहना है कि वर्तमान समय राजद के लिए अवसर भी प्रस्तुत करता है। यदि पार्टी ने इस समय सक्रिय कदम उठाए और जनता के सामने अपनी योग्यता साबित की, तो वह परिवारवाद की छाया से बाहर निकल सकती है।
चिराग पासवान के अनुसार, वर्तमान समय में राजद के पास वह क्षमता नहीं दिख रही है जो उन्हें स्वतंत्र रूप से राजनीतिक प्रभाव बनाने में मदद कर सके। उनका विश्लेषण बताता है कि 2005 में पार्टी की स्थिति और उनके नेताओं के राजनीतिक प्रदर्शन ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया कि व्यक्तिगत क्षमता के बजाय पारिवारिक प्रभाव अधिक दिखाई देता है। वहीं, 2015 में बड़ी पार्टी की जीत में शामिल होने के बावजूद, राजद के नेताओं की भूमिका और प्रभाव पर लगातार सवाल उठते रहे। यह संकेत करता है कि पार्टी ने उस समय अपने भीतर स्थायी राजनीतिक पहचान बनाने में पूरी तरह सफलता नहीं पाई।
चिराग ने यह भी कहा कि 2020 की परिस्थितियों में राजद को मिली सफलता अधिकतर डिवाइडेड एनडीए (राष्ट्रीय जनता दल का विरोधी गठबंधन) की वजह से हुई। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उस समय एनडीए के अंदर पैदा हुई फूट ने राजद को अवसर प्रदान किया। यदि एनडीए एकजुट रहता, तो राजद शायद इतनी प्रमुख राजनीतिक भूमिका निभाने में सक्षम नहीं होती। यह दर्शाता है कि राजनीतिक परिस्थितियाँ और गठबंधन की मजबूती राजद के लिए अवसर बनाने में महत्वपूर्ण रही, जबकि व्यक्तिगत क्षमता और मेहनत की कमी ने उन्हें अपेक्षित ऊँचाई तक पहुँचने से रोका।
चिराग पासवान का मानना है कि राजद के लिए यह समय निर्णायक है। यदि पार्टी परिवारवाद की छाया से बाहर निकलना चाहती है, तो इसे अब अपनी रणनीतियों और कामकाज के माध्यम से यह साबित करना होगा कि वह केवल पारिवारिक नाम के भरोसे नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक समझ और मेहनत के दम पर आगे बढ़ सकती है। जनता और अन्य राजनीतिक दलों के बीच साख सुधारने के लिए सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि राजद को अब अपनी कमजोरियों का मूल्यांकन करना होगा और उन पर काम करना होगा। केवल पारिवारिक प्रभाव और पुराने राजनीतिक संबंधों पर भरोसा करना पर्याप्त नहीं है। राजद को चाहिए कि वह अपने नेताओं की राजनीतिक क्षमताओं को निखारें, युवा नेतृत्व को बढ़ावा दें और जनता के मुद्दों पर सक्रिय और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाएं।
चिराग पासवान का यह मानना है कि राजद का राजनीतिक भविष्य अभी भी उनके हाथ में है। पार्टी यदि पिछले अनुभवों से सबक लेकर रणनीतिक और मेहनती दृष्टिकोण अपनाती है, तो यह संभव है कि वह अपनी पहचान खुद बना सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राजद को अपने संदेश को जनता तक सीधे पहुँचाने के लिए डिजिटल माध्यमों, क्षेत्रीय गतिविधियों और जनसंवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह कदम पार्टी को पारिवारिक छवि से आगे निकालकर वास्तविक राजनीतिक शक्ति बनाने में मदद करेगा।
राजनीतिक विश्लेषक भी चिराग की बात से सहमत हैं कि राजद के लिए यह समय सिर्फ चुनावी जीत का नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक छवि और विश्वास को सुधारने का भी है। अगर पार्टी इस अवसर को गंवाती है, तो केवल परिवारवाद पर आधारित छवि उन्हें आगे जाकर राजनीतिक रूप से सीमित कर सकती है।
इस पूरे परिप्रेक्ष्य में चिराग पासवान ने यह स्पष्ट किया कि राजद को अब अपने नेताओं की क्षमता, मेहनत और रणनीतिक सोच के बल पर अपनी साख को मजबूत करना होगा। यदि पार्टी यह कदम उठाती है, तो वह भविष्य में केवल परिवारवाद की छाया से मुक्त नहीं होगी, बल्कि राजनीतिक रूप से मजबूती और स्थायित्व भी हासिल कर सकती है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आगामी समय में राजद की सक्रियता और सुधार ही तय करेगा कि पार्टी अपने पारिवारिक छवि से बाहर निकलकर एक मजबूत और प्रभावशाली राजनीतिक दल बन पाती है या नहीं। चिराग पासवान की सलाह और विश्लेषण इस दिशा में पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन का काम कर सकते हैं।