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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 21 Nov 2025 03:01:30 PM IST
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Life Style: ठंड का मौसम शुरू होते ही तापमान में तेजी से गिरावट देखने को मिलती है, जिसका सीधा असर हृदय स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में पहले से हार्ट के मरीजों, बुजुर्गों, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। ठंड में शरीर की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इसके अलावा शरीर का तापमान कम होने पर ब्लड गाढ़ा हो जाता है, जिससे ब्लड क्लॉट बनने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, ठंड में हृदय शरीर को गर्म रखने के लिए अधिक मेहनत करता है, जिससे ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है और कमजोर हार्ट वाले लोगों में अटैक का खतरा अधिक हो जाता है।
हार्ट अटैक के संकेतों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। छाती में दर्द या भारीपन, जो बाएं हाथ, कंधे या पीठ तक फैल सकता है, सांस फूलना, हल्का चक्कर आना, अत्यधिक थकान, पसीना आना, या कभी-कभी जबड़े और गर्दन में दर्द होना हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ठंड के मौसम में कई लोग इन लक्षणों को गैस, कमजोरी या सामान्य थकान समझकर अनदेखा कर देते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है। ऐसे में अगर चलने, सीढ़ियां चढ़ने या ठंडे मौसम में बाहर जाने पर छाती में दर्द बढ़ता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
ठंड में हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने के लिए कुछ सावधानियां बहुत जरूरी हैं। शरीर को हमेशा गर्म रखें और अचानक ठंडे वातावरण में जाने से बचें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं। भारी काम या व्यायाम करने से पहले हमेशा वॉर्म-अप करें। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें और संतुलित हेल्दी डाइट का पालन करें। इसके अलावा, ठंड में हृदय मरीजों को घर के अंदर भी हल्के स्ट्रेचिंग और योगा करना चाहिए ताकि ब्लड सर्कुलेशन बना रहे और हार्ट पर अचानक दबाव न पड़े। समय पर पहचान और इलाज से हार्ट अटैक के गंभीर खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में नियमित जीवनशैली, सही खानपान और सावधानियों का पालन करने से न केवल हार्ट अटैक का खतरा कम होता है बल्कि पुरानी बीमारियों के बढ़ने की संभावना भी नियंत्रित रहती है। इसलिए इस मौसम में दिल की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना हर किसी के लिए आवश्यक है।