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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 03:12:51 PM IST
बिहार चुनाव रिजल्ट 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई सीटों पर मुकाबला बेहद रोमांचक रहा, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उन उम्मीदवारों की है जिन्होंने मात्र कुछ ही वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। संदेश विधानसभा सीट पर जेडीयू के राधा चरण साह ने केवल 27 वोटों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि नवीनगर और अगिगांव जैसी सीटों पर भी जीत-हार का फर्क सैंकड़ों से कम रहा। ऐसे परिणाम यह दिखाते हैं कि बिहार की राजनीति में हर वोट की अहमियत है। यहां तक कि स्थानीय नेता और लोकप्रिय उम्मीदवार भी दो-तीन अंकों के अंतर से जीत पाए।
दरअसल संदेश विधानसभा सीट पर जेडीयू के राधा चरण साह ने बेहद रोमांचक मुकाबले के बाद केवल 27 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उन्हें कुल 80,598 वोट प्राप्त हुए, जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंदी, आरजेडी के दीपू सिंह, 80,571 वोटों के साथ बेहद करीब रहे। इस नजदीकी से साफ है कि संदेश क्षेत्र में मतदाताओं की पसंद बेहद विभाजित थी और जीत का पल अंतिम क्षण तक अनिश्चित रहा।
इसी प्रकार नवीनगर विधानसभा सीट पर भी जेडीयू और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। जेडीयू के चेतन आनंद ने 112 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की, जबकि अगिगांव सीट से बीजेपी के महेश पासवान ने मात्र 95 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। चेतन आनंद को कुल 69,412 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 69,317 वोट मिले। यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि क्षेत्रीय स्तर पर राजनीतिक समीकरण अत्यंत जटिल और संवेदनशील हैं, जहां एक-दो वोट भी निर्णायक साबित हो सकते हैं।
ढाका विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के फैजल हसन ने 178 वोटों से जीत हासिल की। यहां भी मतों का अंतर इतना सीमित था कि हर वोट की अहमियत स्पष्ट हो गई। वहीं, जहानाबाद विधानसभा सीट से राहुल कुमार ने आरजेडी के टिकट पर 793 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। यह अंतर पिछले मुकाबलों की तुलना में अधिक था, लेकिन यह भी दिखाता है कि चुनाव में मतदाता की प्राथमिकताएं कितनी समान रूप से विभाजित थीं।
रामनगर विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के सतीश कुमार सिंह ने मात्र 30 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उनकी जीत और बीजेपी के अशोक कुमार सिंह के बीच कांटे की टक्कर ने चुनावी गहमागहमी को और बढ़ा दिया। इतना ही नहीं, इतने नजदीकी परिणामों के कारण मतगणना की प्रक्रिया लगभग आधी रात तक जारी रही। यह स्थिति दर्शाती है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए प्रत्येक वोट का महत्व कितना बढ़ गया है।
इन नजदीकी मुकाबलों का कारण कई फैक्टर्स से जुड़ा हुआ है। पहला, क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरण कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता अपनी पारंपरिक पार्टियों के साथ-साथ नए विकल्पों पर भी भरोसा कर रहे हैं। दूसरा, उम्मीदवारों की स्थानीय छवि और जनसेवा का प्रभाव, छोटे अंतर वाले चुनावों में उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि, उनके इलाके में किए गए काम और जनसंपर्क की रणनीति निर्णायक साबित होती है। तीसरा, वोट विभाजन कभी-कभी समान विचारधारा वाले पार्टियों के बीच मतों का बंटवारा भी हार-जीत के अंतर को बेहद कम कर देता है।
इसके अलावा, चुनावी रणनीतियों और सोशल मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। उम्मीदवारों द्वारा डिजिटल माध्यमों और स्थानीय स्तर पर किए गए प्रचार-प्रसार ने मतदाताओं को प्रभावित किया। साथ ही, वोटरों की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता ने यह सुनिश्चित किया कि चुनाव परिणाम बेहद करीब आए।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि बिहार में राजनीति में हर वोट की अहमियत है। नजदीकी अंतर से हारने वाले नेताओं के लिए यह संदेश है कि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जनता के बीच और अधिक संवाद स्थापित करना होगा। वहीं, जीतने वाले उम्मीदवारों के लिए यह संकेत है कि चुनाव में छोटे-छोटे अंतर भी बड़े फैसले का निर्धारण कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के इन नजदीकी मुकाबलों ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र में मतदाता की शक्ति कितनी निर्णायक हो सकती है। हर वोट का महत्व बढ़ गया है, और चुनावी रणनीति के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि भी निर्णायक भूमिका निभा रही है। इन नजदीकी जीतों और हारों ने यह भी दिखाया कि राजनीतिक दलों को भविष्य में चुनावी रणनीति तैयार करते समय और अधिक सतर्कता और विस्तार से योजना बनाने की आवश्यकता होगी।