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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Nov 2025 11:25:39 AM IST
बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Assembly Election 2025: बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सभी 243 विजेता उम्मीदवारों के शपथ-पत्रों का विस्तृत विश्लेषण जारी किया है। इस रिपोर्ट ने नए विधानसभा की प्रोफाइल को लेकर कई महत्वपूर्ण और चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं, जो राज्य की राजनीतिक संरचना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की वास्तविकता को उजागर करते हैं।
जानकारी के अनुसार, 243 विजेताओं में से 130 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह कुल विजेताओं का 53% है। हालांकि, यह प्रतिशत 2020 के आंकड़ों की तुलना में कम है। उस समय, 241 विजेताओं में से 163 यानी 68% के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे। जबकि यह संख्या कम हुई है, लेकिन यह अब भी चिंताजनक है और राज्य की राजनीति में अपराधीकरण की लंबी प्रक्रिया को दर्शाती है।
आपराधिक मामलों में गंभीर अपराधों की संख्या भी कम नहीं है। कुल 102 विजेताओं (42%) ने अपने हलफनामों में गंभीर आपराधिक मामलों का जिक्र किया है। इसमें हत्या से जुड़े 6 मामले, हत्या के प्रयास के 19 मामले और महिलाओं के खिलाफ अपराध के 9 मामले शामिल हैं। यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि विधानसभा में अब भी ऐसे सदस्य हैं जिनके ऊपर गंभीर आरोप हैं, जो कानून और प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
दलवार आपराधिक प्रोफाइल
बीजेपी: 89 में से 43 उम्मीदवार (48%)
जदयू: 85 में से 23 उम्मीदवार (27%)
आरजेडी: 25 में से 14 उम्मीदवार (56%)
एलजेपी (रामविलास): 19 में से 10 उम्मीदवार (53%)
कांग्रेस: 6 में से 3 उम्मीदवार (50%)
AIMIM: 5 में से 4 उम्मीदवार (80%)
साथ ही, सीपीआई (ML), सीपीआई (M), बीएसपी और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी के विजेताओं ने भी गंभीर अपराधों के मामले हलफनामों में घोषित किए हैं।
रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस बार 90% विजेता उम्मीदवार करोड़पति हैं। यानी 243 में से 218 से अधिक उम्मीदवारों की संपत्ति करोड़ों में है। विजेताओं की औसत संपत्ति 9.02 करोड़ रुपये है, जो पिछले विधानसभा के 4.32 करोड़ रुपये से दोगुनी बढ़ोतरी दर्शाता है। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि बिहार की राजनीति में आर्थिक रूप से मजबूत उम्मीदवारों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है।
शैक्षिक योग्यता और उम्र
35% उम्मीदवार की पढ़ाई 5वीं से 12वीं तक है
60% उम्मीदवार स्नातक या उससे ऊपर की डिग्री रखते हैं
5 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक
7 उम्मीदवार साक्षर
उम्र के अनुसार,
25–40 वर्ष: 38 विजेता (16%)
41–60 वर्ष: 143 विजेता (59%)
61–80 वर्ष: 62 विजेता (26%)
243 विजेताओं में से 29 महिला उम्मीदवार विजयी रहीं, जो कुल 12% है। 2020 में यह प्रतिशत 11% था। हालांकि महिलाओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है, यह अब भी बहुत कम मानी जाती है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी का कहना है कि यह आंकड़ा बिहार की राजनीतिक व्यवस्था में साफ-सुथरे उम्मीदवारों की कमी, अपराधीकरण और आर्थिक असमानता को उजागर करता है। रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि चुनावी सुधारों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।
आर्थिक रूप से मजबूत और शिक्षित उम्मीदवारों का दबदबा बढ़ने से राजनीतिक दलों में सामाजिक और आर्थिक विविधता की कमी सामने आती है। महिला प्रतिनिधित्व में मामूली वृद्धि के बावजूद, महिलाओं की संख्या अभी भी नीतिगत निर्णय और विधानसभाई बहस में पर्याप्त प्रभाव डालने के लिए कम है।
ADR की इस रिपोर्ट ने एक बार फिर बिहार की राजनीति के अपराधीकरण, आर्थिक असमानता और सीमित महिला भागीदारी पर बहस को तेज कर दिया है। आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि राजनीतिक सुधार और पारदर्शिता राज्य में लोकतंत्र की मजबूती के लिए अनिवार्य हैं।