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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Nov 2025 09:58:14 AM IST
Amit Shah Promise - फ़ोटो FILE PHOTO
Amit Shah Promise : बिहार की राजनीति में इस समय दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं—सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा। वजह है बीजेपी के शीर्ष नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का वह चुनावी वादा, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर तारापुर और लखीसराय की जनता इन नेताओं को विधायक बनाती है, तो वह उन्हें "बड़ा आदमी" बनाएंगे। अब चुनाव के बाद बनी नई एनडीए सरकार में जो तस्वीर सामने आई है, वह इस बात की गवाही देती है कि अमित शाह ने अपना यह वादा केवल कहा ही नहीं था बल्कि उसे पूरी तरह निभाया भी है।
तारापुर की जनता का भरोसा—और सम्राट की उड़ान
तारापुर की जनसभा में अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा था कि “आप सम्राट चौधरी को जिताइए, हम उन्हें बड़ा आदमी बनाएंगे।” जनता ने भरोसा दिखाया, सम्राट चौधरी विधायक बने और उनके राजनीतिक जीवन की नई पटकथा वहीं से शुरू हुई।
एनडीए सरकार बनते ही एक बार फिर सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया गया। लेकिन यह कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि इससे पहले भी वह इस पद पर रह चुके थे। इसलिए जनता में यह सवाल उठने लगा कि आखिर शाह जिस ‘बड़ा आदमी’ बनने की बात कह रहे थे, वह कौन-सा बड़ा पद होगा?यहीं पर अमित शाह ने राजनीतिक दांव चला और 20 साल से एक ही हाथ में रहने वाला गृह विभाग जदयू से लेकर बीजेपी के खाते में करा दिया। इसके बाद सम्राट चौधरी को बिहार का गृह मंत्री बनाया गया।
गृह मंत्रालय—पावर का सबसे बड़ा केंद्र
बिहार का गृह विभाग केवल एक मंत्रालय नहीं बल्कि वह जगह है जहां से पूरे राज्य की कानून-व्यवस्था, पुलिस सिस्टम, प्रशासनिक फैसले, हाई-प्रोफाइल मामलों की दिशा तय होती है। राजनीति में हमेशा माना जाता है कि “जिसके पास गृह विभाग, असली पावर उसी के पास।”गृह मंत्री के रूप में सम्राट चौधरी के पास अब पूरे राज्य की पुलिस मशीनरी की कमान, सीमांचल में सुरक्षा और घुसपैठ से जुड़े संवेदनशील निर्णय, हर जिले के डीएम-एसपी पर सीधी पकड़ कानून-व्यवस्था पर अंतिम निर्णय लेने की भूमिका, सरकार के बड़े फैसलों में प्राथमिक भागीदारी यह सारी शक्तियाँ यह साबित करती हैं कि अमित शाह ने सम्राट चौधरी को सचमुच ‘बड़ा आदमी’ बना दिया है।
लखीसराय में भी हुआ वादा पूरा—विजय कुमार सिन्हा को मिले सबसे ‘रेवेन्यू-रिच’ विभाग
लखीसराय की रैली में अमित शाह ने जनता से कहा था “आप विजय बाबू को विधायक बनाइए, मैं उन्हें बड़ा आदमी बनाकर रहूंगा।”लखीसराय की जनता ने भी यह भरोसा दिखाया, और विजय कुमार सिन्हा विधायक बने। लेकिन उनके सामने एक बड़ा संशय था क्योंकि चर्चा थी कि इस बार उनका उपमुख्यमंत्री बन पाना मुश्किल हो सकता है। मगर शाह ने उन पर भरोसा जताया और दोबारा डिप्टी सीएम बनाया। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। क्योंकि अगर बात ‘बड़ा आदमी’ बनाने की थी तो सिर्फ उपमुख्यमंत्री बनाना पर्याप्त नहीं था। यहीं पर कैबिनेट में विभाग बंटवारे के दौरान अमित शाह का दूसरा बड़ा दांव नजर आया।
राजस्व एवं भूमि सुधार + खान-भूतत्व—बिहार की आर्थिक नींव
विजय कुमार सिन्हा को मिले दो विभाग। जिसमें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और खनन एवं भूतत्व विभाग। ये दोनों विभाग ऐसे हैं जिनके हाथ में होते ही कोई नेता राज्य की आर्थिक नीतियों का केंद्र बन जाता है। बिहार की सबसे बड़ी आय का हिस्सा राजस्व विभाग से आता है। खनन विभाग पूरे राज्य के उद्योग, माइनिंग और रेवेन्यू सिस्टम की रीढ़ है। बड़े उद्योगों, जमीन मामले, माइनिंग लाइसेंस, भू-राजस्व—सबकी फाइल इन विभागों से होकर गुजरती है। इन दोनों मंत्रालयों का महत्व इतना है कि राज्य का आर्थिक विकास किस दिशा में जाएगा, उसकी सबसे अधिक पकड़ इन्हीं के पास होती है।
यानी अमित शाह ने लखीसराय की जनता से जो कहा था, वह पूरा हुआ—विजय सिन्हा अब सिर्फ डिप्टी सीएम नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से सबसे मजबूत मंत्रालयों के प्रभारी भी हैं। बिहार में अब स्थिति यह है कि दोनों डिप्टी सीएम बीजेपी के हैं और सबसे ‘पावरफुल’ मंत्रालय—गृह, राजस्व, भूमि सुधार, खनन—सीधे बीजेपी नेताओं के पास हैं।
यह संकेत है कि आने वाले समय में बीजेपी न केवल राजनीतिक बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी अपना प्रभाव बहुत तेजी से बढ़ाने वाली है। इसके साथ ही अमित शाह का राजनीतिक संदेश बिल्कुल स्पष्ट है वह सबसे पहले तारापुर में वादा किया और उसे पूरा किया और उसके बाद लखीसराय में वादा किया और उसे भी पूरा किया।
इसके बाद सरकार बनते ही दोनों को ऐसी कुर्सियाँ दीं, जिनसे पूरा राज्य चलता है। एक तरफ गृह विभाग—जहाँ से कानून-व्यवस्था और पुलिस की कमान दूसरी तरफ राजस्व + खनन—जहाँ से बिहार की आधी आर्थिक ताकत आती है। ऐसे में अब साफ कहा जा सकता है कि अमित शाह ने जो वादा जनता से किया था, उसे उन्होंने पूरी तरह निभा दिया है। दोनों नेताओं की हैसियत अब सिर्फ पद के हिसाब से नहीं, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक शक्ति के हिसाब से भी कई गुना बढ़ चुकी है।