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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Nov 2025 10:46:16 AM IST
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samrat chaudhary : बिहार में नई सरकार के गठन के साथ ही गृह विभाग में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। सम्राट चौधरी के गृहमंत्री बनते ही पुलिस विभाग एक्शन मोड में आ गया है। संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिए डीजीपी विनय कुमार ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को कड़े निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पहली बार संगठित अपराध की परिभाषा को व्यापक बनाते हुए कई छोटी लेकिन लगातार होने वाली आपराधिक गतिविधियों को भी इसके दायरे में शामिल किया गया है।
छोटी घटनाएं भी होंगी ‘संगठित अपराध’ के दायरे में
डीजीपी ने स्पष्ट कहा है कि संगठित अपराध का मतलब सिर्फ बड़ी वारदातें या बड़े गिरोह नहीं हैं। अब ऐसी अपराध घटनाएं, जिन्हें अब तक सामान्य या छोटी घटना मानकर पुलिस हल्के में लेती रही थी, वह भी संगठित अपराध की श्रेणी में शामिल होंगी। उनके अनुसार कई छोटे अपराध भविष्य में बड़े गैंगों की नींव रखते हैं, इसलिए शुरुआत से ही उन पर कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
डीजीपी विनय कुमार ने इस संबंध में दो श्रेणियां निर्धारित की हैं—संगठित अपराध और छोटे संगठित अपराध। उनका यह कदम बिहार पुलिस के कार्यप्रणाली में एक नया और महत्वपूर्ण प्रयोग माना जा रहा है। जिलों के पुलिस प्रमुखों को इस आदेश को गंभीरता से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
‘छोटे संगठित अपराध’ की नई परिभाषा
छोटे संगठित अपराध के तहत चोरी, झपटमारी, चीटिंग, टिकटों की अवैध बिक्री, जुआ, प्रश्नपत्र की बिक्री, छल—जैसे अपराधों को शामिल किया गया है। डीजीपी ने आदेश में कहा है कि ऐसे अपराधों में शामिल आरोपी अक्सर किसी न किसी गैंग का हिस्सा होते हैं। इसलिए चाहे अपराधी अकेले काम करे या गिरोह के साथ, वह इस श्रेणी में आएगा।
छोटे संगठित अपराध के तहत निम्न प्रकार की घटनाएं विशेष रूप से शामिल की गई हैं—
चालाकी से चोरी
वाहन चोरी
घर या कारोबारी प्रतिष्ठान से चोरी
एटीएम तोड़कर चोरी
ऑनलाइन छल या छोटे वित्तीय अपराध
साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि इन अपराधों से संबंधित सभी मामलों को विशेष प्रतिवेदित कांड (SR Case) घोषित किया जाए। इसका अर्थ है कि इन मामलों की निगरानी और कार्रवाई विशेष स्तर पर होगी।
संगठित अपराध की विस्तृत श्रेणी
डीजीपी ने संगठित अपराध को लेकर भी विस्तृत ढांचा स्पष्ट किया है। यदि दो या अधिक व्यक्ति एक सिंडिकेट बनाकर लगातार अपराध करते हैं या एक साथ किसी घटना को अंजाम देते हैं, तो वह संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा। इसमें शामिल किए गए प्रमुख अपराध हैं—
अपहरण
डकैती
यान (वाहन) चोरी
भूमि हथियाना
कांट्रैक्ट किलिंग
साइबर अपराध
आर्थिक अपराध
अवैध हथियार की तस्करी
मानव तस्करी
आर्थिक अपराधों में ऑनलाइन फ्रॉड, हवाला कारोबार, जाली नोट, फर्जी वित्तीय संस्थान चलाकर ठगी करने जैसे मामलों को भी शामिल किया गया है।
बीएनएस की धाराओं का इस्तेमाल और पुलिस ट्रेनिंग में शामिल होगा आदेश
डीजीपी विनय कुमार ने अपने आदेश में नए लागू हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं का भी उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि संगठित अपराध के सिंडिकेट को ध्वस्त करने के लिए एक मजबूत तंत्र तैयार करना बेहद जरूरी है। अगर छोटे संगठित अपराधों पर शुरुआत में ही लगाम नहीं लगाई गई, तो यही अपराधी आगे चलकर बड़े अपराध सिंडिकेट बना देते हैं।
इस आदेश को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए इसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी शामिल किया जाएगा। निर्देश दिया गया है कि राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी और राज्य के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में इस आदेश को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए, ताकि नए पुलिसकर्मी शुरुआत से ही इस संवेदनशीलता के साथ कार्य करें।
सम्राट चौधरी के संभालते ही एक्शन में पुलिस
गृहमंत्री के रूप में सम्राट चौधरी की कार्यशैली को तेज और कड़े फैसलों वाली माना जाता है। उनके पदभार ग्रहण करते ही पुलिस विभाग सक्रिय हो गया है। डीजीपी का यह आदेश सरकार के ‘कानून-व्यवस्था में सुधार’ के एजेंडे की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस नए सिस्टम का उद्देश्य साफ है कि छोटे अपराधों को नजरअंदाज नहीं करना, उन्हें गंभीरता से लेते हुए शुरुआत में ही अपराध की जड़ को खत्म करना। बिहार में आने वाले समय में इस फैसले का सीधा असर कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर देखने को मिल सकता है।