1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 30 Jun 2025 08:39:06 PM IST
घूसखोर क्लर्क को सजा - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: 16 साल पहले DEO के लिपिक को विजिलेंस ने रंगे हाथ घूस लेते पकड़ा था। रिश्वतखोरी के आरोपी लिपिक को आज निगरानी की विशेष कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई। भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने की कार्रवाई थी। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज कांड में न्यायालय द्वारा दोषी करार दिया गया। आज 30.06.2025 को मो० रूस्तम, न्यायाधीश, निगरानी, पटना द्वारा अभियुक्त नालंदा के जिला शिक्षा कार्यालय के लिपिक राज किशोर सिन्हा को दोषी ठहराया गया।
यह मामला राज किशोर सिन्हा, लिपिक, जिला शिक्षा कार्यालय, जिला नालंदा के विरूद्ध शिकायतकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि उनके अभियुक्त काजी तकिया मुहल्ला, बिहार शरीफ, जिला नालंदा में किराये के मकाने में रहते थें, तो शिकायतकर्ता अवधेश कुमार से वेतन भुगतान के एवज में 1600/- (सोलह सौ) रूपये रिश्वत की मांग की गयी। आरोपी को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा दिनांक 28.04.2009 को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले का तत्कालीन अनुसंधानकर्ता पुलिस निरीक्षक शशि शेखर झा द्वारा सटीक और समय पर आरोप-पत्र दायर किया। बिहार सरकार की ओर से किशोर कुमार सिंह विशेष लोक अभियोजक (निगरानी ट्रैप) ने प्रभावी तरीके से पैरवी की और आरोपी को दोष सिद्ध कराने में सफलता हासिल की।
राज किशोर सिन्हा, लिपिक, जिला शिक्षा कार्यालय, नालंदा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 में 01 (एक) वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000/- (दस हजार) रू० का अर्थदण्ड लगाया गया एवं धारा-13 (2) सह पठित धारा-13 (1) (डी) में 02 (दो) वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000/- (दस हजार) रू० का अर्थदण्ड लगाया गया है। अर्थदण्ड की राशि जमा नहीं करने पर एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास होगा। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेगी।
इस प्रकार वर्ष 2025 में जून, 2025 तक कुल 12 ट्रैप मामलों में न्यायालय द्वारा सजा सुनायी जा चुकी है। पिछले वर्ष 2024 में कुल 18 मामलों में सजा सुनायी गयी थी। इस प्रकार इस वर्ष न्यायालयों द्वारा अधिक मामलों में सजा सुनाये जाने की कार्यवाही की गयी है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अभियोजन की कार्यवाही लगातार जारी है।