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बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन पिछले चार महीने से लंबित है, जिसके कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी विकट हो गई है कि कई शिक्षक ईएमआई और अन्य अनिवार्य खर्च नहीं दे पा रहे हैं। कुछ शिक्षक मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, जबकि सेवानिवृत्त कर्मियों को पेंशन नहीं मिलने के कारण इलाज में बाधा आ रही है।
खासकर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के नवनियुक्त शिक्षकों को नौ महीने से वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर शिक्षकों और कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है और अब उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस मामले में सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बिनीत लाल ने कहा कि अगर समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो इससे बिहार में मेधावी शिक्षकों और कर्मियों का पलायन होगा, जिसका शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। वहीं, राज्य मंत्री सुमित कुमार सिंह ने सरकार से मांग की कि प्रतिमाह नियमित रूप से वेतन जारी किया जाए।
सूत्रों के अनुसार, पटना विश्वविद्यालय और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन जारी कर दिया गया है, लेकिन अन्य परंपरागत विश्वविद्यालयों में यह संकट बरकरार है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय शिक्षक संघ लगातार वेतन जारी करने की मांग कर रहा है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर ने प्राचार्यों को कॉलेजों के आंतरिक कोष से नवंबर माह का वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है, लेकिन यह चार माह में से सिर्फ एक माह का भुगतान होगा। इसी तरह अतिथि शिक्षकों का भी छह माह का वेतन लंबित है, हालांकि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने गुरुवार को उनका वेतन भुगतान कर दिया है।
अगर जल्द वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो शिक्षक और कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। शिक्षक संघों का कहना है कि सरकार इस मामले को हल्के में ले रही है, जिससे विश्वविद्यालयों में असंतोष बढ़ रहा है।