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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 03 Mar 2025 09:02:37 AM IST
 
                    
                    
                    study abroad - फ़ोटो study abroad
दुनिया के शीर्ष देशों में पढ़ाई करने का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों को अब नए वीजा और वर्क परमिट नियमों का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन हाल ही में लागू किए गए नए नियम उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। अब स्टडी वीजा पाने, पढ़ाई के बाद नौकरी पाने और स्थायी रूप से बसने की प्रक्रिया पहले से ज्यादा मुश्किल होने वाली है।
कनाडा में पढ़ाई के लिए स्टडी वीजा पाना अब पहले से ज्यादा मुश्किल हो गया है। स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (एसडीएस) वीजा प्रोसेसिंग सिस्टम को बंद कर दिया गया है और अब पढ़ाई के बाद वर्क वीजा के लिए अंग्रेजी दक्षता परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि छात्रों को राहत देते हुए पार्ट-टाइम काम के घंटे 20 से बढ़ाकर 24 कर दिए गए हैं।
ब्रिटेन में भारतीय छात्रों को भी नए बदलावों का सामना करना पड़ेगा। आश्रित वीजा पर प्रतिबंध के कारण भारतीय छात्रों की संख्या में 23% की गिरावट देखी गई है। इसके अलावा ट्यूशन फीस में 285 पाउंड की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि, ग्रेजुएट रूट वीजा के तहत भारतीय छात्रों को अभी भी दो साल तक बिना नियोक्ता के काम करने की अनुमति है, लेकिन इसे बदलने पर चर्चा चल रही है।
ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई और काम करने की प्रक्रिया अब मुश्किल होती जा रही है। स्टूडेंट वीजा पाने के लिए छात्रों को अब 29,710 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 16 लाख रुपये) दिखाने होंगे। इसके अलावा अंग्रेजी भाषा की परीक्षा में भी कड़े मानक लागू किए गए हैं। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को सबक्लास 485 वीजा के तहत छह साल तक काम करने का मौका मिलता है।
अमेरिका में 2024 में 3,37,630 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे, जो दर्शाता है कि यह भारतीयों के लिए सबसे पसंदीदा जगह बनी हुई है। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार एच-1बी और ओपीटी वीजा पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। इससे भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है। लेकिन दूसरी ओर ट्रंप प्रशासन टॉप ग्रेजुएट्स को ऑटोमैटिक ग्रीन कार्ड देने का प्रस्ताव भी रख सकता है, जिसका फायदा भारतीय छात्रों को मिलेगा।
विदेश में पढ़ाई के बाद नौकरी पाने के मौके भी अब मुश्किल होते जा रहे हैं। अब अमेरिका में छात्रों को OPT वीजा के तहत 12 महीने तक काम करने की इजाजत है। जबकि ब्रिटेन में ग्रेजुएट रूट वीजा के तहत दो साल तक बिना नियोक्ता के काम करने की इजाजत है। इसी तरह कनाडा में PGWP वीजा के तहत तीन साल तक काम करने का मौका मिलता है, लेकिन अंग्रेजी दक्षता की शर्त लागू होती है। ऑस्ट्रेलिया की बात करें तो यहां सबक्लास 485 वीजा के तहत छह साल तक काम करने की इजाजत है। नई नीतियों के मद्देनजर भारतीय छात्रों को अब विदेश में पढ़ाई का फैसला ज्यादा सोच-समझकर लेना होगा। अब सिर्फ अच्छी यूनिवर्सिटी और कोर्स चुनना ही काफी नहीं होगा, बल्कि वहां के वीजा और नौकरी की शर्तों को भी ध्यान में रखना जरूरी होगा।