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22-Feb-2025 06:02 AM
Information News: भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए मार्च 2024 में एक नई EV पॉलिसी की घोषणा की थी। हालांकि, ऑटोमोबाइल कंपनियों की कम दिलचस्पी को देखते हुए सरकार अब इसमें बदलाव करने की योजना बना रही है। नए संशोधनों के तहत टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने और उत्पादन शुरू करने में अधिक सुविधा मिलेगी। अब भारत में इस गाड़ी के एंट्री होते ही तहलका मच जाएगा। इससे जुड़ा सवाल आपके एग्जाम में आ सकता है।
नई EV पॉलिसी में क्या होगा बदलाव?
मौजूदा EV नीति के तहत, विदेशी कंपनियों को तीन साल के भीतर 4,150 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवेश करना आवश्यक था। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर कस्टम ड्यूटी में छूट (110% से घटाकर 15%) देने का प्रावधान था। यह लाभ प्लांट लगाने की मंजूरी मिलने के बाद पांच साल तक मिलता।
अब सरकार इस पॉलिसी में कुछ अहम बदलाव करने जा रही है, जिसमें शामिल हैं। पहले से किए गए निवेश को भी EV पॉलिसी का हिस्सा मानने पर विचार। चार्जिंग स्टेशन पर किए गए निवेश को भी 500 मिलियन डॉलर के निवेश कमिटमेंट में शामिल किया जाएगा।
कब लागू होगी नई पॉलिसी?
EV पॉलिसी की नई गाइडलाइन SMEC (Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars) अगले दो हफ्तों में तैयार हो जाएगी और अगले महीने रिलीज कर दी जाएगी। इससे टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में जल्दी एंट्री करने का मौका मिलेगा।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मिलेगा बढ़ावा
सरकार की इस नीति के तहत:
तीन साल के भीतर कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना अनिवार्य होगा। ऑपरेशन शुरू होने के पांच साल के भीतर 50% लोकलाइजेशन (स्थानीय स्तर पर उत्पादन) आवश्यक होगा। चार्जिंग स्टेशनों के निवेश को भी पॉलिसी के तहत छूट के दायरे में लाने की योजना।
राज्य सरकारों को मिलेगा लोन
इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग नेटवर्क को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप फंड की घोषणा की है। चार्जिंग स्टेशनों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तेजी लाने के लिए राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त लोन भी दिया जाएगा।
नई EV पॉलिसी से क्या होगा फायदा?
विदेशी कंपनियों के लिए भारत में EV मैन्युफैक्चरिंग आसान होगी। स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे EV की कीमतें कम हो सकती हैं। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ेगा, जिससे EV उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा मिलेगी। नई नीति के लागू होने के बाद, भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा हब बन सकता है और घरेलू बाजार में भी EV की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।