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बिहार के विश्वविद्यालय में बड़ा फर्जीवाड़ा, फेल छात्रों को पास कराने का खुलासा

टीएमबीयू में स्नातक पार्ट टू परीक्षा 2023 में अंक में छेड़छाड़ कर 25 से अधिक छात्रों को पास कराने का मामला सामने आया है। राजभवन ने जांच के आदेश दिए हैं। टेबुलेटर पर पैसे लेकर धांधली का आरोप है। पहले भी बिना रजिस्ट्रेशन के अंक देने का मामला सामने आया

बिहार के विश्वविद्यालय में बड़ा फर्जीवाड़ा, फेल छात्रों को पास कराने का खुलासा

04-Mar-2025 11:41 PM

बिहार के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में स्नातक परीक्षा में बड़ी धांधली का मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में अंक में हेरफेर कर दो दर्जन से अधिक फेल विद्यार्थियों को पास कराने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। मामला स्नातक पार्ट-2 परीक्षा 2023 का बताया जा रहा है। इसे लेकर कुछ छात्रों ने राजभवन में लिखित शिकायत की थी, जिसके बाद पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।


छात्रों द्वारा राजभवन को भेजे गए शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि परीक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों और टेबुलेटर की मिलीभगत से फेल छात्रों को मोटी रकम लेकर पास किया गया। इस घोटाले में एक विशेष कॉलेज का नाम भी सामने आया है, जहां से पैसे लेकर उत्तर पुस्तिका और अंकपत्रों में हेरफेर किया गया। आरोपों के अनुसार, टेबुलेशन रजिस्टर में मनमाने ढंग से नंबर दर्ज कर दिए गए, जिससे असफल छात्रों को सफल घोषित किया गया।


राजभवन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए टीएमबीयू प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। विश्वविद्यालय प्रशासन भी हरकत में आ गया है और फौरन पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। कमेटी में प्रो. अशोक कुमार ठाकुर को संयोजक बनाया गया है, जबकि अन्य सदस्यों में डीएसडब्ल्यू प्रो. विजेंद्र कुमार, कॉलेज इंस्पेक्टर प्रो. संजय कुमार झा, प्रॉक्टर प्रो. अर्चना साह और परीक्षा नियंत्रक डॉ. कृष्ण कुमार शामिल हैं।


यह पहली बार नहीं है जब टीएमबीयू में परीक्षा से जुड़ी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। पूर्व में भी विश्वविद्यालय में बिना रजिस्ट्रेशन के विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करने और उन्हें अंक देने का मामला उजागर हुआ था। पूर्व कुलपति प्रो. रमा शंकर दुबे के कार्यकाल में स्नातक पार्ट-1 की परीक्षा में बिना रजिस्ट्रेशन के छात्रों को अंक दे दिए गए थे, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को रिजल्ट रोकना पड़ा था।


छात्रों ने इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच और निगरानी विभाग से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की अनियमितताओं से विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है और ईमानदारी से परीक्षा देने वाले छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है।