पटना में नगर निगम की लापरवाही से खुला मेनहोल बना जानलेवा, नाले में गिरा बच्चा पहली उड़ान बनी आखिरी सफर, सऊदी नौकरी पर निकले युवक ने फ्लाइट में दम तोड़ा, विदेश में नौकरी का सपना रह गया अधूरा जमुई में नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, जंगल से 24 सिलेंडर बम बरामद भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग पर भीषण सड़क हादसा, महिला की मौत, 6 की हालत गंभीर Patna News: पटना एयरपोर्ट के लिए जारी हुआ नया आदेश, उल्लंघन किया तो होगी कड़ी कार्रवाई बेगूसराय में टला बड़ा हादसा: चलती ट्रेन के इंजन में लगी आग, यात्रियों ने कूदकर बचायी अपनी जान गांधी सेतु पर ट्रक और पिलर के बीच फंसा बाइक सवार, ट्रैफिक पुलिस ने किया रेस्क्यू AI in election: AI की चालबाज़ी से उलझे बिहार के वोटर! फर्जी कॉल्स-Deepfake से फैला भ्रम, अब चुनाव आयोग कसेगा शिकंजा! प्यार के लिए लड़का बना लड़की, अब पति किन्नर से शादी की जिद पर अड़ा Bihar politics : तेजस्वी ने किया 'महिला संवाद' पर हमला, जदयू का पलटवार...क्या महिलाओं की तरक्की से डरते हैं नेता प्रतिपक्ष?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम विभाग (DoT) द्वारा एक महत्वपूर्ण योजना पर विचार किया जा रहा है, जिसके तहत वोडाफोन आइडिया को 40,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
टेलीकॉम विभाग ऐसी योजना पर विचार कर रहा है, जिसके तहत 2022 से पहले नीलामी में हासिल किए गए स्पेक्ट्रम को वापस करने का मौका दिया जाएगा। इससे वोडाफोन आइडिया को स्पेक्ट्रम के लिए किए गए भुगतान में 40,000 करोड़ रुपये की बड़ी राहत मिल सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, DoT ने इस मामले पर आंतरिक रूप से और कंपनी के अधिकारियों के साथ बातचीत की है। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है और सभी कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जा रही है।
इस कदम का सबसे बड़ा फायदा वोडाफोन आइडिया को ही हो सकता है। सरकार की नीति का उद्देश्य भारत के टेलीकॉम सेक्टर में तीन प्रमुख कंपनियों – Reliance Jio, Bharti Airtel और Vodafone Idea – का अस्तित्व बनाए रखना और इनके बीच प्रतिस्पर्धा को कायम रखना है। इसके अलावा, सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL भी इस खेल का हिस्सा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम वापसी की नीति सभी टेलीकॉम कंपनियों पर लागू होगी, लेकिन इसका सबसे अधिक लाभ घाटे में चल रही वोडाफोन आइडिया को मिलेगा। क्यों? क्योंकि वोडाफोन आइडिया के मुकाबले रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने पहले ही स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए भुगतान कर दिया है।
वोडाफोन आइडिया पर सरकार का करीब 1.57 लाख करोड़ रुपये का बकाया है, और इसका एक बड़ा हिस्सा 2022 से पहले खरीदे गए स्पेक्ट्रम का है। अगर कंपनी कुछ स्पेक्ट्रम वापस कर देती है, तो वह लगभग 40,000 करोड़ रुपये बचाने में सफल हो सकती है, जो कि उसके सालाना भुगतान में मददगार हो सकता है। यह रकम वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति को मजबूत कर सकती है और कंपनी को राहत मिल सकती है।
कंपनी को 2026 के अंत तक 28,500 करोड़ रुपये चुकाने हैं, जबकि 2027 से 2031 तक करीब 43,000 करोड़ रुपये का और भुगतान करना है। दिसंबर 2024 तक कंपनी के पास 12,090 करोड़ रुपये का कैश और बैंक बैलेंस था। इसके अलावा, वोडाफोन आइडिया के पास विभिन्न बैंड में कुल 8,030 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है, और कंपनी का दावा है कि उसके पास उद्योग में प्रति मिलियन ग्राहकों पर सबसे ज्यादा स्पेक्ट्रम है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या एयरटेल और रिलायंस जियो पर भी स्पेक्ट्रम वापसी नीति का असर पड़ेगा? एयरटेल के पास कुछ अतिरिक्त स्पेक्ट्रम हो सकता है (जैसे कि 2G और 3G), जिसे वह सरेंडर कर सकता है। हालांकि, अगर एयरटेल ने पहले ही इसका पेमेंट कर दिया है और नई नीति में रिफंड की कोई व्यवस्था नहीं है, तो एयरटेल को इसका कोई खास फायदा नहीं होगा। वहीं, रिलायंस जियो के पास ऐसे बहुत कम स्पेक्ट्रम होंगे जिन्हें वह सरेंडर कर सके।