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शेयर बाजार में इस हफ्ते काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बाजार पर विभिन्न आर्थिक डेटा, वैश्विक घटनाएं और नवीनतम नीतिगत निर्णय गहरा प्रभाव डालने वाले हैं। इस हफ्ते बाजार की दिशा तय करने वाले प्रमुख फैक्टर्स पर एक नजर डालते हैं।
इस हफ्ते टैरिफ पॉलिसीज पर खास ध्यान दिया जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ और चीन से आने वाले सामानों पर 10% ड्यूटी लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ से आने वाले सामानों पर भी 25% टैरिफ लगाने की बात कही गई है। यह घटनाक्रम वैश्विक ट्रेड वॉर की आशंकाओं को फिर से हवा दे सकता है, और भारतीय शेयर बाजार पर इसका नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।
पिछले कुछ महीनों से इन टैरिफ पॉलिसीज के चलते भारतीय इक्विटी बाजार में गिरावट देखी गई थी, और इस बार भी यदि यह पॉलिसीज लागू होती हैं, तो बाजार में और उतार-चढ़ाव संभव है।
इस हफ्ते US जॉब्स डेटा पर बाजार की निगाहें टिकी रहेंगी। फरवरी के महीने के लिए बेरोजगारी दर, नॉन-फार्म पेरोल्स और चैलेंजर जॉब्स कट डेटा सामने आएंगे। इन आंकड़ों का विशेष महत्व है क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इन आंकड़ों के आधार पर अपनी ब्याज दरों में बदलाव का फैसला करता है।
अभी हाल ही में जारी हुए निराशाजनक आर्थिक आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि फेडरल रिजर्व जल्द ही ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे बाजार में सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। हालांकि, इस निर्णय के बाद भी अमेरिकी बाजारों में कहीं न कहीं उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, जो भारतीय बाजार को भी प्रभावित कर सकता है।
इस हफ्ते फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल और अन्य फेड अधिकारियों के बयानों पर भी सबकी निगाहें रहेंगी। इनके बयान बाजार में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को और मजबूत कर सकते हैं, जो निवेशकों को राहत दे सकता है। साथ ही, जॉब्स और विकास के आंकड़ों को लेकर भी महत्वपूर्ण संकेत मिल सकते हैं, जो कि अमेरिकी और वैश्विक बाजारों के लिए खासा महत्वपूर्ण होंगे।
वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज PMI (Purchasing Managers' Index) भी इस हफ्ते घोषित होंगे। ये आंकड़े वैश्विक आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण संकेत होते हैं, जो निवेशकों को यह तय करने में मदद करते हैं कि क्या आगे चलकर अर्थव्यवस्था की दिशा सकारात्मक रहेगी या मंदी का खतरा बढ़ेगा। इन आंकड़ों के आधार पर शेयर बाजार की दिशा तय हो सकती है, और भारत समेत वैश्विक बाजारों पर इनका असर नजर आ सकता है।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) के इंटरेस्ट रेट डिसीजन पर भी सबकी निगाहें रहेंगी। यूरोपीय आर्थिक स्थिति और ब्याज दरों के निर्णय से यूरोपीय बाजारों में उतार-चढ़ाव होगा, जो किसी हद तक वैश्विक बाजारों पर प्रभाव डाल सकता है। अगर ECB ब्याज दरों में कोई बदलाव करता है, तो इसका असर भारत के शेयर बाजार पर भी देखा जा सकता है।
FII-DII फ्लो (विदेशी और घरेलू निवेशकों का प्रवाह) इस हफ्ते भी महत्वपूर्ण रहेगा। पिछले कुछ हफ्तों में FII ने भारी बिकवाली की है, जबकि DII ने भारतीय बाजारों में खरीदारी की है। यह प्रवृत्ति बाजार की दिशा तय करने में मदद करेगी। इसके साथ ही अपकमिंग IPOs का भी असर बाजार पर पड़ सकता है, क्योंकि नए IPOs बाजार में अतिरिक्त तरलता और निवेश को आकर्षित कर सकते हैं।