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success story: 8 वीं पास महिला ने घर से शुरू किया बिजनेस, चंद महीनों में ही कमाने लगी लाखों रुपए

यूपी की गीता देवी ने घर पर नीम, तुलसी, एलोवेरा और औषधीय पत्तियों से साबुन बनाना शुरू किया। जिससे वो ना केवल खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाई बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। अब वह इससे लाखों रूपये कमा रहीं हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Feb 2025 07:59:58 PM IST

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सफलता की मिसाल - फ़ोटो GOOGLE

success story: आज महिलाएं आत्मनिर्भर बनाने की राह में अग्रसर हो रहीं है और खुद का व्यवसाय स्थापित कर सफलता की नई मिसाल कायम कर रहीं है। समाज और नई पीढ़ी को जागरूक करने के उदेश्य को पूरा कर रहीं है। ऐसी ही एक सफतला की कहानी है, उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की गीता देवी की जिन्होंने समाज के सामने उदहारण पेश किया है. गीता देवी घर पर रहकर ऐसा व्यवसाय को शुरू किया जिसकी मांग बढ़ती जा रही है। 


दरअसल, गीता देवी ने प्राकृतिक वस्तुओं यानि नीम, तुलसी, एलोवेरा और औषधीय पत्तियों से साबुन बनाना शुरू किया और अपने बनाये साबुन को स्थानीय बाजारों के छोटे-छोटे दुकानों में बेचना शुरू किया जिससे उनकी बाजारों में जगह बनती गई और धीरे-धीरे उनकी ब्रांडिंग भी मजबूत होती गई, जिससे गीता देवी न केवल खुद को आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है। 


बता दें कि गीता देवी महज 8वीं कक्षा तक ही पढाई की लेकिन अपनी मेहनत और हुनर के दम पर आज स्थानीय महिलाओं को अपने साथ साबुन बनाने की कला को भी सिखा रहीं हैं और अपने व्यवसाय से साल में लाखों रूपया भी कमा रहीं हैं। गीता देवी बताती है कि पहले उन्होंने महिला समूह से जुड़कर साबुन बनाने की पूरी कला सीखी और इसे अपने घर पर ही व्यवसाय के रूप में स्थापित किया। अब आस-पास के कई महिलाएं भी उनके साथ जुड़कर ये हुनर सिख रही है।


गीता देवी अपने बिज़नस के बारे में बताती है कि उनके द्वारा बनाये गए साबुन पूरी तरह जैविक और केमिकल-फ्री होते हैं. इसमें गुलाब, नीम, केसर, तुलसी और पलाश के फूलों जैसे प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। इनके व्यवसाय में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन(एनआरएलएम) का भी सहयोग मिला, जिससे जीता देवी को अपने व्यवसाय को आगे बढ़ने में काफी मदद मिली।


गीता देवी की ने रामायण काल के प्रसिद्ध स्थल ‘धोपाप घाट’ के नाम पर अपने व्यवसाय की ब्राडिंग की जिससे स्थानीय लोगों में विश्वास और जुड़ाव हुआ। गीता देवी अपने मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प से यह सिद्ध कर दिया कि कम संसाधन में भी सच्ची निष्ठा से काम करने पर सफलता हासिल हो सकती है और मेहनत से पूरी दुनिया को जीता जा सकता है।