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ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के लिए एक और मुश्किल दौर की शुरुआत हो गई है। ब्लूमबर्ग की एक ताजातरीन रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने 1,000 से अधिक कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया है। इस कदम के पीछे कंपनी की कोशिश अपने बढ़ते घाटे को नियंत्रित करना और अपनी लागत को कम करना है।
प्रॉक्योरमेंट, फुलफिलमेंट, कस्टमर रिलेशन्स और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे महत्वपूर्ण विभागों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। यह छंटनी ओला इलेक्ट्रिक की लागत कम करने की योजनाओं का हिस्सा मानी जा रही है, जो पहले से ही अपने मार्जिन को बढ़ाने और प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार लाने के लिए रिस्ट्रक्चरिंग की प्रक्रिया से गुजर रही है। नवंबर 2023 में ही करीब 500 कर्मचारियों की छंटनी की गई थी, और अब यह संख्या दोगुनी होने वाली है।
यह छंटनी ओला इलेक्ट्रिक के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इससे न केवल कर्मचारियों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि कंपनी की आंतरिक कार्यप्रणाली भी प्रभावित होगी। प्रॉक्योरमेंट और फुलफिलमेंट जैसे महत्वपूर्ण विभागों में छंटनी का मतलब है कि कंपनी को अपनी आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादों की डिलीवरी पर असर पड़ सकता है, जो ग्राहकों के अनुभव को प्रभावित कर सकता है।
कंपनी की इस रणनीति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या ओला इलेक्ट्रिक अपनी बढ़ती हुई लागत को नियंत्रित करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी के अलावा और भी अन्य उपायों पर विचार कर रही है? क्या इस छंटनी से ओला की कार्यप्रणाली में और भी समस्याएं उत्पन्न होंगी? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेंगे।
इस छंटनी के ऐलान के बाद, ओला के शेयरों में 5% की गिरावट आई है। आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ओला के शेयर 54 रुपए के करीब कारोबार कर रहे हैं, जबकि पिछले 6 महीनों में कंपनी के शेयरों में 52% की गिरावट आई है। वहीं, इस साल के पहले 2 महीनों में ही कंपनी के शेयर में 37% की गिरावट देखी गई है। यह गिरावट कंपनी के बढ़ते घाटे और वित्तीय स्थिति को लेकर निवेशकों के मन में असमंजस को दर्शाती है।