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मारुति सुजुकी ने वित्तीय वर्ष 2030 तक चार बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEVs) लॉन्च करने की योजना बनाई है, जिसका आरंभ बहुप्रतीक्षित e-VITARA से होगा। कंपनी का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में अग्रणी बनना है, और वह उत्पादन, निर्यात, और बिक्री के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। लेकिन, यहां पर एक बड़ा फर्क है, क्योंकि मारुति सुजुकी केवल इलेक्ट्रिक वाहन पर निर्भर नहीं है। कंपनी अपनी रणनीति को मल्टी-पॉवरट्रेन रणनीति के तहत तैयार कर रही है, जिसमें हाइब्रिड (HEVs), सीएनजी और फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स (FFVs) शामिल हैं। यह कदम कंपनी को इस तेजी से बढ़ते हुए बाजार में प्रतिस्पर्धा से निपटने में मदद कर सकता है।
मारुति के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है, और कंपनी इस पर पूरी तरह से भरोसा करती है। बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए मारुति अपनी उत्पादन क्षमता को तेजी से बढ़ा रही है। कंपनी ने खड़कौदा और गुजरात में नई निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे उसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 4 मिलियन यूनिट्स तक पहुंच जाएगी। इससे भारत को सुजुकी का वैश्विक निर्यात हब बनाने में मदद मिलेगी, और भारतीय बाजार में कंपनी की उपस्थिति और मजबूत होगी।
हालांकि, मारुति का भारतीय बाजार पर दबदबा थोड़ा कम हुआ है, खासकर एसयूवी (SUV) की बढ़ती मांग और बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहन प्रतिस्पर्धा के कारण। पिछले कुछ वर्षों में एसयूवी की बढ़ती लोकप्रियता ने मारुति को चुनौती दी है, और कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 50% से घटकर कम हो गई है। इसे वापस पाने के लिए मारुति अपनी एसयूवी और एमपीवी (MPV) लाइनअप को सशक्त बना रही है, साथ ही यह सुनिश्चित कर रही है कि एंट्री-लेवल मॉडल्स पहली बार कार खरीदने वालों के लिए सुलभ रहें।
मारुति की भविष्य के लिए तैयार योजनाओं के बावजूद, आज शेयरों में 1.78% की गिरावट ने निवेशकों के बीच सतर्कता को उजागर किया है। बाजार में प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ताओं के बदलते रुझान और अर्थव्यवस्था के अस्थिर माहौल ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर किया है। हालांकि, मारुति की लागत-कुशल दृष्टिकोण और मजबूत ब्रांड ट्रस्ट के चलते यह कंपनी दीर्घकालिक रूप से EV क्षेत्र में सफल हो सकती है।