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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 18 Oct 2025 11:25:12 AM IST
प्रतिकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार के एथनॉल उद्योगों के लिए बड़ा झटका साबित हो रहा है तेल कंपनियों (OMCs) का नया आदेश, जिसके तहत इथनॉल उत्पादन के लिए आवंटन में भारी कटौती कर दी गई है। इस फैसले के विरोध में भारत प्लस एथनॉल प्राइवेट लिमिटेड ने इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशकों को पत्र लिखकर आवंटन में संशोधन की मांग की है।
कंपनी ने अपने पत्र में कहा है कि “हमारा प्लांट एक Dedicated Ethanol Plant (DEP) है, जो तेल विपणन कंपनियों के साथ दस साल के लॉन्ग टर्म ऑफ़्टेक एग्रीमेंट (LTOA) पर काम कर रहा है। लेकिन हाल के वार्षिक बिडिंग टेंडर (ESY 2025–26) में इस समझौते की शर्तों को बदल दिया गया है, जिससे प्लांट की आर्थिक व्यवहार्यता पर संकट आ गया है।”
पत्र में कहा गया है कि पहले जहाँ LTOA के तहत DEP प्लांट्स को Assured Offtake और Preferential Offtake के आधार पर प्राथमिकता दी जाती थी, वहीं इस वर्ष के टेंडर में कोऑपरेटिव शुगर मिल्स को पहली प्राथमिकता दे दी गई है और DEP प्लांट्स को तीसरे स्थान पर डाल दिया गया है।
भारत प्लस कंपनी के अनुसार, यह बदलाव कानूनी रूप से गलत और LTOA की शर्तों का उल्लंघन है, क्योंकि इस समझौते में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि फ़ीडस्टॉक (Maize आदि) में बदलाव या किसी अन्य स्रोत (जैसे FCI चावल) के प्रयोग की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके, इस वर्ष के आदेश में 40% उत्पादन FCI चावल से करने की अनिवार्यता लगा दी गई है।
कंपनी का कहना है कि इस एकतरफा बदलाव के कारण उन्हें 36,500 KL की वार्षिक क्षमता के विरुद्ध मात्र 16,299 KL (44.65%) का ऑर्डर मिला है, जिससे उनका प्लांट 202 दिन तक बंद रहेगा। कंपनी ने कहा कि “कोई भी उद्योग आधा साल बंद रहकर टिक नहीं सकता। बैंक की EMI, कर्मचारियों की सैलरी और संयंत्र के रखरखाव का खर्च उठाना असंभव होगा।
भारत प्लस एथनॉल प्राइवेट लिमिटेड ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि 2023–24 और 2024–25 के दौरान कंपनी ने 100% सप्लाई पूरी की थी, यानी प्रदर्शन पूरी तरह संतोषजनक रहा। कंपनी ने ओएमसी से आग्रह किया है कि 2025–26 के लिए कम-से-कम 33,000 KL वार्षिक आवंटन किया जाए और अवैध बदलावों को तत्काल रद्द किया जाए।
इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, पेट्रोलियम मंत्री, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री सहित सभी संबंधित उच्च अधिकारियों को भेजी गई है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो बिहार में एथनॉल उद्योग गहरे संकट में पड़ जाएगा, जिससे निवेशकों और रोजगार दोनों पर विपरीत असर पड़ेगा।