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सरकार के नए इनकम टैक्स बिल के लागू होने के पहले, टैक्सपेयर्स को इस बिल के हर पहलू को समझने और अपनी टैक्स देनदारी को सही तरीके से कैलकुलेट करने में मदद देने के लिए विभाग ने एक स्पेशल टूल लॉन्च किया है। इस टूल की मदद से अब कोई भी टैक्सपेयर्स आसानी से अपने टैक्स का हिसाब-किताब कर सकेगा और जान सकेगा कि नए प्रावधानों में क्या बदलाव आए हैं।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा लॉन्च किया गया यह टूल एक सेल्फ हेल्प यूटिलिटी है, जिसका उद्देश्य टैक्सपेयर्स को नए इनकम टैक्स बिल के तहत अपनी टैक्स देनदारी को समझने में मदद करना है। इस टूल की मदद से, टैक्सपेयर्स न सिर्फ अपनी वर्तमान टैक्स स्थिति को समझ पाएंगे, बल्कि यह भी जान सकेंगे कि पुराने कानून में क्या था और नए कानून में किस प्रकार का बदलाव प्रस्तावित किया गया है।
दरअसल, सरकार ने 1961 के पुराने इनकम टैक्स कानून को बदलने के लिए नया इनकम टैक्स बिल संसद में पेश किया है। हालांकि, आम टैक्सपेयर्स के लिए इस नए बिल के प्रावधानों को समझना और यह जानना कि इस बिल में उनके लिए कितना फायदा या नुकसान होगा, यह अभी भी एक चुनौती थी। अब इस नए टूल के जरिए यह समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। इस टूल में सरल भाषा में टेबल्स और उदाहरणों के जरिए टैक्स कैलकुलेशन को समझाया गया है, जिससे यह प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा आसान और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो गई है।
अब तक, टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स देनदारी के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने में काफ़ी परेशानी होती थी, क्योंकि पुराने और नए प्रावधानों के बीच अंतर को समझना मुश्किल था। इस टूल के आने से न केवल इस अंतर को कम किया जाएगा, बल्कि टैक्सपेयर्स को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि उन्हें नए कानून के तहत क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं। इससे न सिर्फ टैक्सपेयर्स को बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि विभाग के लिए भी कर संग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।
कहा जा रहा है कि इस नए इनकम टैक्स कानून को अगले साल, यानी 1 अप्रैल से लागू करने की योजना है। हालांकि, इसके लिए अभी कुछ औपचारिकताएं पूरी की जानी बाकी हैं। फिलहाल, यह बिल संसद के सिलेक्ट कमेटी में भेजा गया है, जो अपने सिफारिशों को मानसून सत्र से पहले संसद में पेश करेगी। इसके बाद ही इस कानून को अंतिम रूप से संसद में पेश किया जाएगा और सरकार इसे 1 अप्रैल से लागू करने की कोशिश करेगी।
इनकम टैक्स विभाग का यह कदम न केवल टैक्सपेयर्स के लिए एक राहत का कारण बनेगा, बल्कि इससे सरकारी टैक्स सिस्टम की सक्षमता भी बढ़ेगी। नए टूल के जरिए टैक्सपेयर्स को खुद से अपने टैक्स की गणना करने और सही प्रावधानों को समझने का मौका मिलेगा, जिससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि कई गलतियां भी टाली जा सकेंगी।