ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Weather Update: बिहार में प्री-मानसून सीजन...इस दिन 13 जिलों में बारिश की संभावना, आज इन 29 जगहों पर हुई वर्षा PMCH Run For Good Health: स्वस्थ जीवन के लिए हजारों डॉक्टर्स और पूर्व छात्र दौड़े बिहार में अपराधी बेलगाम: खटाल से दूध लेकर घर लौट रही बुजुर्ग महिला को बनाया निशाना India vs Pakistan ICC Champions Trophy 2025: भारत की जीत के लिए बाबा गरीबनाथ मंदिर में विशेष पूजा Nitish Kumar को इतना डर: अपने वार्ड में CM के कार्यक्रम में पहुंचे पार्षद को पुलिस ने धक्के मार कर निकाला, शिलापट्ट पर था नाम फिर भी जलील हुए वैशाली में नाव हादसा: सेल्फी लेने के चक्कर में 6 बच्चे डूबे, 2 की लाश बरामद CO Shreya Mishra Video Viral: 'थोड़ा बढ़ा के दीजिए...'! महिला CO का घूस लेते वीडियो हुआ था वायरल...तब सरकार ने किया था सस्पेंड, अब इस शर्त के साथ हुए निलंबन मुक्त Bihar News: पति को छोड़ बच्चे को लेकर मुस्लिम लड़के के साथ भागी महिला, हसबैंड और लवर कर रहे यह दावा MAHA SHIVRATRI: महाशिवरात्रि के 2 दिन पहले बेगूसराय में चमत्कार, श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़ Bihar Ias Ofiicer News: बिहार के 7 वरिष्ठ IAS अफसर 18 दिनों के लिए जा रहे 'मसूरी', अपर मुख्य सचिव से लेकर प्रधान सचिव के हैं नाम, जानें...

भारत के अरबपतियों के लिए 2025: एक भयंकर संकट का साल

2025 का साल दुनिया के सबसे बड़े अरबपतियों के लिए एक बड़े झटके का साल साबित हो रहा है। जहां एलन मस्क जैसे दिग्गज उद्योगपति अभी भी सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं, वहीं कई अन्य अरबपतियों के लिए यह साल बेहद मुश्किल भरा रहा है।

Share Market Impact Indian Businessman

23-Feb-2025 04:47 PM

इस रिपोर्ट में हम उन 5 प्रमुख भारतीय अरबपतियों की चर्चा करेंगे जिन्होंने इस साल अब तक भारी नुकसान झेला है। इन अरबपतियों की संपत्ति में गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिसमें आर्थिक अनिश्चितताएं, बाजार में उतार-चढ़ाव और रेग्युलेटरी दबाव प्रमुख हैं।

1. गौतम अदाणी - 11.9 बिलियन डॉलर का नुकसान
 भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक, गौतम अदाणी को 2025 में अब तक 11.9 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। उनकी कुल संपत्ति फिलहाल 66.8 बिलियन डॉलर रह गई है। अदाणी ग्रुप की कंपनियां लंबे समय से जांच के दायरे में हैं और लगातार दबाव में हैं। मार्केट की उठापटक और रेग्युलेटरी दबाव ने उनकी संपत्ति में गिरावट की वजह बनाई है। इस गिरावट ने न केवल उनके व्यक्तिगत निवेशकों को प्रभावित किया, बल्कि भारतीय बाजार को भी हिला दिया।

2. शिव नादर - 4.5 बिलियन डॉलर का नुकसान
 एचसीएल टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और भारतीय आईटी उद्योग के दिग्गज शिव नादर को भी इस साल 4.5 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है, जिससे उनकी कुल संपत्ति 38.6 बिलियन डॉलर रह गई है। एचसीएल को हाल के समय में वैश्विक स्तर पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बाजार में अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ा है, जिसका प्रभाव नादर की संपत्ति पर पड़ा है।

3. रवि जयपुरिया - 4.2 बिलियन डॉलर का नुकसान
 फूड और बेवरेज सेक्टर में एक बड़ा नाम, रवि जयपुरिया को भी 4.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। उनकी संपत्ति अब 13.1 बिलियन डॉलर रह गई है। इस सेक्टर में बढ़ते प्रतिस्पर्धा और बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताओं ने उनके मुनाफे पर असर डाला है, जिससे उनकी संपत्ति में गिरावट आई है।

4. सावित्री जिंदल - 3.9 बिलियन डॉलर का नुकसान
 ओ.पी जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल को भी इस साल एक बड़ा नुकसान हुआ है। स्टील इंडस्ट्री में जारी उतार-चढ़ाव और बढ़ती इनपुट लागत ने उन्हें 3.9 बिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचाया है। उनकी संपत्ति अब 28.4 बिलियन डॉलर रह गई है, और यह गिरावट वैश्विक मांग के घटने और बढ़ती लागत का परिणाम है।

5. दिलीप सांघवी - 3.8 बिलियन डॉलर का नुकसान
 भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनियों में से एक, सन फार्मा के संस्थापक दिलीप सांघवी की नेटवर्थ में भी भारी गिरावट आई है। उन्हें इस साल 3.8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है, जिससे उनकी संपत्ति 25.7 बिलियन डॉलर रह गई है। फार्मा सेक्टर में रेग्युलेटरी और कॉम्पिटिटिव दबावों ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है।

अंतरराष्ट्रीय अरबपति भी नुकसान में
 भारत के इन अरबपतियों के साथ-साथ कुछ अंतरराष्ट्रीय अरबपतियों ने भी इस साल भारी नुकसान झेला है। उदाहरण के लिए, एलन मस्क को 35.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। उनकी नेटवर्थ अब 397.3 बिलियन डॉलर रह गई है। टेस्ला के शेयरों में उतार-चढ़ाव और स्पेसएक्स, एक्स.कॉम जैसे उनके वेंचर्स में मुश्किलों ने इस नुकसान को जन्म दिया है।

निष्कर्ष: एक बदलता हुआ आर्थिक परिदृश्य
 2025 का साल एक बड़े आर्थिक संकट का प्रतीक बनकर उभरा है। वैश्विक स्तर पर उद्योगपतियों को भारी नुकसान हो रहा है, और भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में भी लगातार गिरावट हो रही है। यह गिरावट किसी एक सेक्टर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विविध उद्योगों, जैसे आईटी, फार्मा, स्टील, और फूड सेक्टर में भी देखी जा रही है। आर्थिक अनिश्चितताओं, बाजार में उतार-चढ़ाव, और रेग्युलेटरी दबाव इस गिरावट के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।