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रेंजर का अजब-गजब खेल..! लकड़ी तस्कर को बचाने के लिए पार की सारी सीमाएं, थानेदार ने रेंजर को पत्र लिखकर खोल दी पोल

Motihari News: पूर्वी चंपारण में वन विभाग के रेंजर के खेल का खुलासा हुआ है. वनों के क्षेत्र पदधिकारी ने लकड़ी तस्कर को बचाने के लिए लांघी सारी सीमाएं. क्या है पूरा मामला जानें...

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Thu, 13 Feb 2025 12:55:51 PM IST

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- फ़ोटो Google

Motihari News:  मोतिहारी में वन विभाग के रेंजर के खेल का खुलासा हुआ है. ऐसा लग रहा कि वनों के क्षेत्र पदधिकारी सरकार के लिए नहीं बल्कि लकड़ी माफियाओं के लिए काम कर रहे. हालांकि पुलिस ने रेंजर की पोल खोल दी है. क्या है मामला जानते हैं इस खबर में. 

लकड़ी तस्कर को बचाने में जुटे वन विभाग के अफसर!

पूर्वी चंपारण(मोतिहारी) का वन प्रमंडल हमेशा से सुर्खियों में रहता है. कुछ पदाधिकारियो के मिली भगत से  धड़ल्ले से लाइसेंसी से अधिक अवैध आरा मिलों का संचालन हो रहा है. अवैध आरा मिल चलवाकर अधिकारी मालामाल हो रहे. दूसरी तरह वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी स्थलों से पेड़ों की अवैध तरीके से कटाई कराई जा रही है. ताजा मामला मोतिहारी जिला के  पहाड़पुर थाना क्षेत्र का है. जब पहाड़पुर थाने की पुलिस ने माफियाओं द्वारा काटे गए सागवान की लकड़ी को जब्त किया तो वनों के क्षेत्र पदाधिकारी(अरेराज) सामने आ गए . उक्त अधिकारी ने थानेदार की कार्रवाई को ही गलत ठहरा दिया. रेंडर का पत्र सामने आने के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि अरेराज के वन क्षेत्र पदाधिकारी सरकार के लिए नहीं, बल्कि लतकड़ी माफियाओं के लिए काम कर रहे. 

दरअसल, पहाड़पुर थाना पुलिस ने ग्रामीणों के सूचना पर नोनया चौबे टोला  से 7 फरवरी को पुआल में छुपाकर रखे गए कीमती सरकारी लकड़ी जब्त कर थाना लाई. लकड़ी जब्ती  में 4 टोना लकड़ी नागेंद्र चौबे के घर के सामने दरवाजे के पास से बरामद की गई। वहीं बाकी लकड़ी पुआल से बरामद किया गया. लकड़ी जप्ती के तुरंत बाद मुखिया द्वारा जिला वन पदाधिकारी को सूचना दिया गया। सूचना के बाद अरेराज रेंजर द्वारा थाना आकर जब्त लकड़ी का सत्यापन किया गया. लेकिन रेंजर द्वारा अवैध रूप से सागवान की लकड़ी काटने वाले पर कार्रवाई करने की बजाय लकड़ी तस्कर को बचाने के उद्देश्य से थाना पुलिस की कार्रवाई पर ही प्रश्न उठा दिया ।

अरेराज रेंजर ने पहाड़पुर थाना में जब्त सागवान की लकड़ी के सत्यापन के बाद तस्कर पर कार्रवाई की बजाय तीन दिन बाद 10 फरवरी को थाना की जब्ती पर ही सवाल उठा दिया. रेंजर ने थानेदार को लिखे पत्र की जब्त सागवान की लकड़ी पूर्व में वन विभाग द्वारा जब्त कर एक व्यक्ति के नाम पर जिम्मेनामा पर दिया गया था। वन विभाग द्वारा जब्त की गई लकड़ी को भी थाना द्वारा जब्त करना उचित नही है। जब्त लकड़ी सरकारी संपति है। रेंजर ने आगे लिखा है कि थाना द्वारा जब्त लकड़ी में वन विभाग द्वारा जब्त लकड़ी जो जिम्मेनामा पर दी गई थी, वो भी शामिल है. जब्त लकड़ी को फिर से जब्त करना नियम संगत नहीं है. 

थानेदार ने पत्र लिख रेंजर की हेकड़ी किया बंद

पहाड़पुर थानेदार ने रेंजर के पत्र का जबाब दिया. थानेदार ने अपने पत्र में लिखा है कि ग्रामीणों की सूचना पर सागवान की लकड़ी जब्त की गई। उस लकड़ी में न कोई मार्क लगाया गया है, नही कोई मापी लिखी गयी है। जिम्मेनामा में जिस मंटू के नाम का उल्लेख किया गया है, जब्त लकड़ी जिम्मेनामा वाले व्यक्ति के दरवाजे पर होना चाहिए था. पुलिस जब्ती के समय कोई भी व्यक्ति ने इस लकड़ी के बारे में जिम्मेनामा की बात स्वीकार नही किया. सबसे रोचक बात यह कि जब थाना पुलिस द्वारा लकड़ी जब्त कर 7 फरवरी को लाया गया, उसी दिन रेंजर ने थाना पहुंचकर जांच किया तो जिम्मेनामा की कोई बात नही कही गयी. तीन दिन बाद तस्कर को बचाने के लिए गजब का खेल करने की चर्चा जोरों पर है.