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उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री बनाये जाने पर RJD सांसद ने बोला हमला, कहा...प्रधानमंत्री जी के चुनावी नारे हवा-हवाई होते हैं

पटना में शपथग्रहण के दौरान उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश के मंत्री बनने पर सियासत गरमा गई। विपक्ष ने इसे परिवारवाद बताया और SIR व चुनावी धांधली को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 21 Nov 2025 03:01:41 PM IST

बिहार

क्या यह परिवारवाद नहीं? - फ़ोटो REPORTER

PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की प्रचंड जीत के बाद 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथग्रहण समारोह का आयोजन हुआ। नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके साथ-साथ 26 अन्य नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था लेकिन जब उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंच पर शपथ लेने के लिए बुलाया गया तब वहां मौजूद लोग भी हैरान रह गये। अब इस बात की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है कि दीपक प्रकाश को मंत्री क्यों बनाया गया?


दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश ना किसी सदन, ना ही विधानसभा और ना ही विधान परिषद के सदस्य हैं, इसके बावजूद उन्होंने बिहार के मंत्री के रूप में पद और गोपनियता की शपथ ली। इसे लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र राजद सांसद सुधाकर सिंह ने भी उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे के मंत्री बनने पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा जिस तरीके से चुनावी अभियान में जिन मुद्दों का आधार बना कर लड़ा गया उसमें आप देखेंगे किस तरीके से मोदी जी लाचार हैं और बिहार को लेकर केवल उपेंद्र कुशवाहा नहीं कम से कम एक दर्जन लोग किसी न किसी परिवार से मंत्री बनाए गए हैं। एक दर्जन में इन व्यक्तियों में शामिल उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश जिसकी चर्चा हो रही है, उनका चुनावी राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।


सुधाकर सिंह ने कहा कि इसलिए यह खबर है। खबर केवल एक नहीं बल्कि एक दर्जन लोग हैं, जिन्हें कैबिनेट में जगह मिली है वो किसी ना किसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। क्या यह परिवारवाद नहीं है? सांसद सुधाकर सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री जी के चुनावी नारे हवा हवाई होते है, कभी जमीनी हकीकत से कोई मेल नहीं खाता है। केवल यही नहीं अब बिहार को गुजरात मॉडल के तौर पर चलाने का प्रयास करेंगे। जहां अथॉरिटी प्रधानमंत्री के पास होगा बिहार के मंत्री और मुख्यमंत्री सिर्फ नाम मात्र के होंगे।


बता दें कि एनडीए में जब सीट शेयरिंग हुई थी तब उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को 6 सीटें मिली थी। जिसमें 4 सीटों पर आरएलएम ने विजय हासिल की। जिनमें सासाराम से उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव जीतीं। पहले इनके मंत्री बनने की चर्चा हो रही थी लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे ने मंत्री पद की शपथ ली। जिसके बाद इसे लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। परिवारवाद और दूर-दूर तक राजनीति से कोई रिश्ता नहीं होने को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि संविधान का Article 164(4)) के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को मंत्री बनाया जाता है और वह उस समय किसी भी सदन (विधान सभा या विधान परिषद) का सदस्य नहीं है, तो उसे 6 महीने तक बिना MLA/MLC बने वो मंत्री रह सकता है. इन 6 महीनों के भीतर उसे किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी होता है. यदि वह 6 महीने में MLA/MLC नहीं बन पाता, तो उसे मंत्री पद छोड़ना पड़ता है। 


वही SIR मामले को लेकर कहा कि केवल बंगाल नहीं पूरे देश के लोग नाराज है। SIR के जरिए एक कमिटेड वोटर लिस्ट आरएसएस और भाजपा के लोगों के द्वारा तैयार किया जा रहा है। इसमें करोड़ों मतदाता मूवेबल है, जो दिल्ली में भी वोट करते हैं, पटना में भी वोट करते हैं, वो कल कोलकता में भी वोट करेंगे। ये लोग भारत के भीतर चुनाव को मजाक बना दिये हैं। अब भारत में चुनाव वैसा होगा जैसे चीन और रूस चुनाव होते हैं लेकिन चुनाव के बाद कौन लोग बनते हैं, ठीक भारत में वही होने वाला है। इसके खिलाफ हम लोग पार्लियामेंट के सत्र में जाएंगे और निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।


गिरिराज सिंह के दिए गए बयान कि SIR होकर रहेगा किसी भी कीमत पर बंगाल को बांग्लादेश नहीं बनने देंगे। गिरिराज के इस बयान सुधाकर सिंह ने कहा कि गिरिराज जिस विभाग के मंत्री हैं, 11 साल में बिहार के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं रहा तो इस तरह करके बात से उनकी राजनीतिक रोजी-रोटी चलती रहती है। दुखद है कि इसके अलावा उन्हें कुछ आता नहीं है। उनके बयान पर मैं कभी प्रतिक्रिया नहीं देता, वह बेतुका और गैर जिम्मेदार बयान देते रहते हैं। उनकी बातों पर हम ध्यान नहीं देते हैं। 


एनडीए की जीत पर सुधाकर सिंह ने कहा कि हम लोगों ने वोट कम नहीं पाया है, पिछले बार से ज्यादा वोट महागठबंधन को मिला है। लेकिन दो चीज एक वोटर लिस्ट SIR में धांधली हुआ तो जिसमें 72 लाख मतदाताओं को बाहर किया गया। जो महागठबंधन के समर्थक थे उनको वोटर लिस्ट से बाहर किया गया। दूसरी बात यह कि सरकार के पैसे से महिला महिला मतदाताओं को प्रभावित करने का काम हुआ। 10 हजार देकर महिला वोटर को खरीदने का काम किया गया। जब सरकारी साधनों को सत्ता पक्ष मतदाताओं को चुनाव के एन वक्त पर प्रभावित करने का प्रयास करेगा, तब आचार संहिता का कानून कहां गया। सुधाकर सिंह ने कहा कि इसलिए निर्वाचन आयोग के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पार्लियामेंट में हम लाएंगे। 

पटना से प्रेम राज की रिपोर्ट