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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 28 Mar 2025 08:43:53 AM IST
सुप्रीम कोर्ट - फ़ोटो Google
Bihar News : सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च 2025 को बिहार के एक गांव के मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, "यदि आपके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है, तो आप बिहार में मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत सकते। बिहार में एक मुखिया होने के लिए जरूरी है कि आपके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।" यह टिप्पणी हल्के-फुल्के अंदाज में की गई, लेकिन इसने बिहार की स्थानीय राजनीति में अपराध के गहरे प्रभाव को उजागर कर दिया।
हल्के फुल्के अंदाज में की गई टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला एक बिहार के मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका से जुड़ा था। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, "इस मामले के अलावा आपके मुवक्किल के खिलाफ अन्य आपराधिक मामले हैं? अगर हां, तो उनका ब्यौरा कहां है?" वकील ने जवाब दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ अन्य मामले भी दर्ज हैं, लेकिन ये सभी गांव की राजनीति से प्रेरित हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, "बिहार में एक गांव या पंचायत के मुखिया के खिलाफ आपराधिक मुकदमा तो होना ही चाहिए।" उन्होंने अपने सहयोगी जज जस्टिस कोटिश्वर सिंह का हवाला देते हुए कहा, "मेरे साथी जज कह रहे हैं कि अगर आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है, तो आप बिहार में मुखिया बनने के योग्य ही नहीं हैं।"
याचिका खारिज
याचिकाकर्ता के वकील ने बार-बार दावा किया कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। लेकिन जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, "आपने गुंडों को किराए पर लिया है। एक ने हेलमेट पहना हुआ है, दूसरा टोपी पहने बाइक पर है। उनमें से एक का मोबाइल गिर गया, और अब आप फंस गए हैं क्योंकि आपके खिलाफ साक्ष्य मौजूद हैं।" इसके बाद पीठ ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
बिहार में अपराध और राजनीति का गठजोड़
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बिहार में स्थानीय राजनीति और अपराध के बीच गहरे रिश्ते को रेखांकित करती है। बिहार में पंचायत स्तर पर चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की भागीदारी कोई नई बात नहीं है। 2021 में बिहार पंचायत चुनाव से पहले एक सर्वे में पाया गया था कि 30% से ज्यादा निर्वाचित मुखिया उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। यह स्थिति न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अपराध और सत्ता का गठजोड़ कितना मजबूत हो चुका है।