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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 20 May 2025 08:26:00 AM IST
सऊदी अरब में फंसे बिहार के मजदूर - फ़ोटो Google
Saudi Arabia: सऊदी अरब के यानबू शहर में सेंडन इंटरनेशनल कंपनी में काम करने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के 300 से अधिक भारतीय मजदूर पिछले आठ महीनों से गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। इनमें गोपालगंज, सिवान, और अन्य जिलों के मजदूर शामिल हैं, जो बिना वेतन, अपर्याप्त भोजन, और अमानवीय हालात में जीने को मजबूर हैं। मजदूरों ने वीडियो के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और विदेश मंत्रालय से वतन वापसी की गुहार लगाई है। भारतीय दूतावास से संपर्क के बावजूद कोई ठोस मदद नहीं मिली है, जिससे उनके परिजनों की चिंता बढ़ गई है।
गोपालगंज के मांझा प्रखंड के कविलाशपुर गांव के शाह आलम उन मजदूरों में से एक हैं। पांच साल पहले रोजगार की तलाश में सऊदी अरब गए शाह ने वहां से कमाए पैसे से गांव में मकान बनवाया। कर्ज चुकाने और शादी की तैयारी के लिए वे और मेहनत करना चाहते थे, लेकिन आठ महीने से वेतन न मिलने और कंपनी द्वारा छुट्टी न देने से उनकी शादी टल गई। शाह के पिता इम्तेयाज आलम और मां शायदा खातून ने बताया कि उनका बेटा परिवार का एकमात्र कमाने वाला है। मां ने रोते हुए कहा, “ईद के बाद शादी तय थी, लेकिन अब सब रुक गया। सरकार से हाथ जोड़कर विनती है, मेरे बेटे को वापस लाएं।”
शाह आलम और अन्य मजदूरों ने वीडियो में बताया कि सेंडन इंटरनेशनल कंपनी ने न केवल उनका वेतन रोका है, बल्कि पर्याप्त भोजन और चिकित्सा सुविधाएं भी बंद कर दी हैं। मजदूर चावल और दाल खाकर गुजारा कर रहे हैं। कंपनी ने उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं और घर लौटने की अनुमति नहीं दी जा रही। मजदूरों ने भारतीय दूतावास को ईमेल और फोन के जरिए कई बार संपर्क किया, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। गोपालगंज के फतेहपुर के दिलीप चौहान, दहीभत्ता के शलेश कुमार, धमापाकड़ के बैजनाथ साह, बालेपुर बथुआ के ओमप्रकाश, और सिवान के कई मजदूर भी इसी संकट में हैं।
सेंडन इंटरनेशनल, जो 1994 में स्थापित एक निर्माण और सेवा कंपनी है, तेल, गैस, उर्वरक, और बिजली क्षेत्रों में काम करती है। इसका मुख्यालय यानबू में है। मजदूरों का आरोप है कि कंपनी ने उन्हें कैदियों जैसी जिंदगी जीने पर मजबूर किया है। आठ महीने से वेतन न मिलने से उनके सामने भोजन और बुनियादी जरूरतों का संकट है। कुछ मजदूरों ने बताया कि उन्हें 55,000 रुपये कमीशन देकर सऊदी लाया गया था, लेकिन वादे के मुताबिक न वेतन मिला और न ही सुविधाएं।
गोपालगंज के श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने पुष्टि की कि फंसे मजदूरों के नियोजक की पहचान कर ली गई है। विभागीय स्तर पर उनकी वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विदेश मंत्रालय और सऊदी अरब में भारतीय दूतावास को इस मामले की जानकारी दी गई है। बिहार सरकार ने भी मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है।