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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Nov 2025 09:27:54 PM IST
बंगला खाली होने में तेजस्वी की भूमिका - फ़ोटो सोशल मीडिया
PATNA: बिहार चुनाव में करारी हार के बाद आज लालू परिवार को एक और बड़ा झटका लगा. लालू, राबड़ी और तेजस्वी जिस बंगले में रह रहे थे, उसे खाली करने का फरमान जारी हो गया है. सरकार के इस फऱमान पर लालू परिवार ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी में भी खलबली मची है. लेकिन अगर हम इस पूरे मामले के इतिहास में जायें तो खबर ये निकल कर आती है कि तेजस्वी यादव की ओर से दायर एक केस के कारण ही राबड़ी देवी को बंगला खाली करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
राबड़ी को नया बंगला
बता दें कि 10, सर्कुलर रोड स्थित बंगले को राज्य सरकार ने राबड़ी देवी के नाम पर आवंटित कर रखा था. राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं और इसी हैसियत से उन्हें 10, सर्कुलर रोड का बंगला मिला है. लेकिन अब सरकार ने नया फैसला ले लिया है. राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग की ओर से आज आदेश जारी किया गया है. उसमें कहा गया है कि विधान परिषद में विपक्ष के नेता के लिए एक बंगला फिक्स कर दिया गया है. ये 29, हार्डिंग रोड स्थित बंगला होगा.
जाहिर है सरकार के नये फैसले के बाद राबड़ी देवी को विधान परिषद में विपक्ष के नेता के तौर पर कर्णांकित (तय) आवास यानि 29 हार्डिंग रोड में जाना होगा. लालू परिवार पिछले 20 सालों से 10, सर्कुलर रोड स्थित जिस बंगले में रह रहा था, उसे खाली करना पड़ेगा.
बंगला खाली होने में तेजस्वी की भूमिका
अब हम आपको पूरा मामला समझाते हैं. दरअसल, जिस बंगले में अभी लालू-राबड़ी परिवार रह रहा है, वह आवास उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के नाते आवंटित हुआ था. 2005 में सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने ये फैसला लिया था कि राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को पटना में सरकारी आवास, सुरक्षा और दूसरी सुविधायें दी जायेंगी. पूर्व सीएम की सुविधा के लिए नीतीश कुमार ने कई तरह के प्रबंध किये थे.
लेकिन राबड़ी देवी पर आज तेजस्वी यादव की ओर से दायर एक केस ही भारी पड़ गया है. तेजस्वी यादव ने 8 साल पहले पटना हाईकोर्ट में एक केस दायर किया था. उसी केस में हाईकोर्ट ने जो आदेश जारी किया था, उसके आधार पर अब राबड़ी देवी को बंगला खाली करना पड़ेगा.
क्या था तेजस्वी का केस?
मामला 2017 का है. तेजस्वी यादव 2015 में महागठबंधन की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने थे. 2017 में नीतीश कुमार ने आरजेडी से नाता तोड़ लिया था और बीजेपी के साथ चले गये थे. 2015 में डिप्टी सीएम बनने के बाद तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री के तौर पर 5, देशरत्न मार्ग स्थित बंगला मिला था. उस बंगले को डिप्टी सीएम के नाम पर कर्णांकित कर दिया गया था. यानि राज्य में जो भी डिप्टी सीएम बनेगा, वह 5, देशरत्न मार्ग स्थित बंगले में रहेगा.
2017 में जब तेजस्वी डिप्टी सीएम पद से हटे तो सरकार ने उनसे बंगला खाली करने को कहा. उस समय जेडीयू-बीजेपी की साझा सरकार में सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम बनाया गया था और सरकार ने सुशील मोदी को 5, देशरत्न मार्ग का बंगला आवंटित कर दिया था. तेजस्वी को जब वह बंगला खाली करने का सरकारी नोटिस मिला तो वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गये.
हाईकोर्ट में सिंगल बेंच ने तेजस्वी यादव की याचिका खारिज कर दी और उन्हें 5, देशरत्न मार्ग का बंगला खाली करने को कहा. हाईकोर्ट में सिंगल जज की बेंच ने तेजस्वी को राहत देने से इंकार कर दिया. इस फैसले के खिलाफ तेजस्वी यादव ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर कर दिया.
हाईकोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला
तेजस्वी यादव की ओर से बंगले को लेकर हाईकोर्ट में दायर अपील की सुनवाई तत्कालीन चीफ जस्टिस एपी शाही और जस्टिस अंजना मिश्रा की डबल बेंच ने की थी. कोर्ट ने बिहार में सरकारी बंगले को लेकर भवन निर्माण विभाग से ढ़ेर सारी जानकारियां मांगी थीं. भवन निर्माण विभाग की ओर से कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किये गये, उससे ये पता चला कि नीतीश सरकार ने बिहार के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला, सुरक्षा, स्टाफ समेत ढ़ेर सारी सुविधायें दे रखी हैं.
कोर्ट को ये जानकारी मिली कि नीतीश कुमार की सरकार ने सरकारी बंगले के आवंटन को लेकर पहले से चले आ रहे नियमों को 2010 में बदल दिया था. उसके बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों राबड़ी देवी, लालू यादव, जीतन राम मांझी, डॉ जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह को बंगला समेत ढेर सारी सुविधायें दी गयी थीं.
2019 में कोर्ट ने सुनाया फैसला
पटना हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 19 फरवरी 2019 को तेजस्वी यादव की याचिका पर अपना फैसला सुनाया. इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार से ये जवाब मांगा था कि आखिरकार किस नियम-कानून के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला, सुरक्षा, स्टाफ समेत इतनी सारी सुविधायें दी जा रही हैं. सरकार कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पायी. ऐसे में कोर्ट ने पहले तेजस्वी यादव की याचिका रद्द की यानि उन्हें डिप्टी सीएम होने के नाते मिला बंगला खाली करने को कहा. उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला, गाड़ी, सुरक्षा औऱ स्टाफ देने जैसी सारी सुविधायें वापस लेने का आदेश जारी किया.
तेजस्वी यादव के उसी केस के फैसले से अब राबड़ी देवी बंगला खाली करने को मजबूर होंगी. अगर हाईकोर्ट का वह फैसला नहीं आय़ा होता तो लालू यादव और राबड़ी देवी दोनों के नाम पर दो आलीशान बंगले समेत दूसरी सुविधायें बरकरार रहतीं. लेकिन अब राबड़ी देवी को सिर्फ विधान परिषद में विपक्ष की नेता होने के नाते मिलने वाली सुविधायें ही हासिल हो सकती हैं. अगर सरकार ने विधान परिषद में विपक्ष के नेता के लिए 29, हार्डिंग रोड का बंगला तय कर दिया तो राबड़ी देवी को उसी आवास में जाना पड़ेगा.
वैसे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. उन्हें इस नाते एक बंगला मिला हुआ है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए एक, पोलो रोड का बंगला तय है. तेजस्वी यादव इस बंगले में अपना ऑफिस चलाते हैं. उस बंगले में तेजस्वी के करीबी संजय यादव रहते हैं. तेजस्वी अपनी मां के नाम पर आवंटित 10, सर्कुलर रोड के बंगले में ही रहते हैं. यानि सिर्फ लालू-राबड़ी ही नहीं बल्कि तेजस्वी को भी नया ठिकाना ढूंढ़ना पड़ेगा.