1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 07 Dec 2025 10:41:00 AM IST
- फ़ोटो
SSC paper leak : ओडिशा एसएससी पेपर लीक कांड में फरार चल रहे आरोपी राजमोहन प्रसाद को आखिरकार क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। ओडिशा क्राइम ब्रांच की टीम ने बिहार के समस्तीपुर जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के खानपुर उत्तरी गांव से स्थानीय पुलिस की मदद से उसे पकड़ा। वह स्व. इंद्रमोहन प्रसाद का पुत्र और कांड के मुख्य साजिशकर्ता विजेंद्र गुप्ता का साला है। गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से ओडिशा पुलिस ने ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ भुवनेश्वर ले गई।
देशभर के पेपर लीक कांड से कनेक्शन
जांच में सामने आया है कि राजमोहन पिछले 10-15 वर्षों से पेपर लीक और सॉल्वर गैंग के नेटवर्क से जुड़ा है। वह सिर्फ ओडिशा एसएससी पेपर लीक 2023 ही नहीं, बल्कि नीट, दारोगा बहाली परीक्षा, बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा जैसे कई हाई-प्रोफाइल पेपर लीक मामलों में भी शामिल रहा है। उसका संबंध इस नेटवर्क के दूसरे बड़े खिलाड़ी विशाल कुमार चौरसिया से भी गहरा है।
ओडिशा क्राइम ब्रांच के एएसपी विकास रंजन बेउरा ने बताया कि इस मामले में अब तक 27 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं। बालासोर पुलिस भी इस कांड में 27 जालसाजों को पकड़ चुकी है। मामले की मुख्य साजिश समस्तीपुर के विद्यापतिनगर निवासी विजेंद्र गुप्ता और ग्रामीण कार्य विभाग के डिविजनल अकाउंटेंट विशाल चौरसिया ने रची थी।
प्रिंटिंग प्रेस से निकलते ही लीक हो गया प्रश्नपत्र
पूरी साजिश में बड़ा नाम हाजीपुर के वीरेंद्र पासवान का भी सामने आया है, जो कोलकाता की उस प्रिंटिंग प्रेस में कार्यरत था जहां ओडिशा एसएससी का पेपर छपता था। छपाई के बाद पासवान ने गुपचुप तरीके से प्रश्नपत्र विजेंद्र गुप्ता और उसके नेटवर्क को उपलब्ध कराया।
इस पूरे रैकेट के कारण विजेंद्र गुप्ता पेपर सेटिंग के कुख्यात गिरोह में शामिल हो गया था। उसने राजमोहन की बहन से लव मैरिज की थी, जिसके चलते राजमोहन भी इस अवैध धंधे में सक्रिय हो गया। बताया गया कि विजेंद्र दो दिन पहले ससुराल भी आया था, लेकिन पुलिस की छापेमारी से पहले ही फरार हो गया। उसका साला राजमोहन वहीं दबोचा गया।
बीपीएससी शिक्षक भर्ती पेपर लीक में भी तलाश
बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) भी लंबे समय से राजमोहन की तलाश में थी। एएसपी ने बताया कि जांच में यह साफ हुआ है कि यह गिरोह ओडिशा, बिहार समेत कई राज्यों में सक्रिय है और राष्ट्रीय स्तर पर भर्ती परीक्षाओं को प्रभावितकरता रहा है। क्राइम ब्रांच अब उसके नेटवर्क, बैंकिंग लेनदेन और अन्य राज्यों से जुड़े कनेक्शन की पड़ताल कर रही है। ओडिशा के बालासोर थाने में केस दर्ज है और वहीं से जांच आगे बढ़ रही है।
कैसे लीक होता था पेपर, कैसे फंसते थे छात्र?
ओडिशा क्राइम ब्रांच की जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी टेलीग्राम और व्हाट्सएप के ऑनलाइन स्टडी ग्रुप से अभ्यर्थियों का डेटा जुटाते थे। साथ ही मैनपावर कंसल्टेंसी सर्विसेस से भी बड़े पैमाने पर डेटा खरीदा जाता था।इसके बाद रैकेट के सदस्य छात्रों से संपर्क कर उन्हें पहले विश्वास में लेते। फिर 20 से 25 लाख रुपये तक की डील तय की जाती। इसके बाद शुरुआत में 10 लाख रुपये और परीक्षा पास होने पर 15 लाख रुपये लिए जाते हैं।
पैसा वसूलने के लिए छात्र से मूल प्रमाण-पत्र और ब्लैंक चेक ले लिया जाता था, जिससे वे भाग न सकें। परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र और उत्तर रटवा दिए जाते थे। नौकरी ज्वाइन करने से पहले मूल प्रमाण-पत्र की जरूरत पड़ती है, इसलिए उससे पहले ही पूरा पैसा वसूल लिया जाता था।
राष्ट्रीय स्तर का संगठित गिरोह
एएसपी बेउरा ने बताया कि यह नेटवर्क बेहद संगठित और तकनीकी रूप से मजबूत है। यह न केवल राज्य स्तरीय, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं को भी प्रभावित कर चुका है। वित्तीय प्रवाह, कॉल डिटेल, डिजिटल ट्रांजैक्शन और इंटर-स्टेट कनेक्शन की गहन जांच जारी है। राजमोहन की गिरफ्तारी से इस रैकेट के और कई बड़े चेहरों के उजागर होने की उम्मीद जताई जा रही है।