1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 23 Dec 2025 08:23:35 AM IST
EOU investigation - फ़ोटो FILE PHOTO
EOU investigation : सीबीआई की टीम ने आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के सहयोग से ओडिशा दारोगा बहाली परीक्षा प्रश्नपत्र लीक मामले के मास्टरमाइंड नीतीश कुमार को बिहार के खुसरूपुर से गिरफ्तार कर लिया है। नीतीश कुमार खुसरूपुर का ही रहने वाला है और लंबे समय से फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद इस बहुचर्चित घोटाले में बिहार से जुड़े परीक्षा माफिया नेटवर्क की परतें और खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। सीबीआई और ईओयू की संयुक्त टीम फिलहाल उससे गहन पूछताछ कर रही है।
यह मामला ओडिशा पुलिस रिक्रूटमेंट बोर्ड द्वारा आयोजित दारोगा (सब-इंस्पेक्टर) बहाली परीक्षा से जुड़ा है। बोर्ड की ओर से पांच और छह अक्तूबर को लिखित परीक्षा की तिथि तय की गई थी। परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र लीक कर अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ पहुंचाने की साजिश रची गई थी। जांच में सामने आया कि इस रैकेट का संचालन कई राज्यों में फैले संगठित गिरोह के जरिए किया जा रहा था, जिसमें बिहार, ओडिशा और आंध्रप्रदेश तक के कनेक्शन शामिल थे।
इस मामले में पहले ही परीक्षा माफिया और गिरोह के सरगना शंकर पुष्टि की गिरफ्तारी हो चुकी है। शंकर से पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे हुए, जिनमें खुसरूपुर निवासी नीतीश कुमार का नाम प्रमुख रूप से सामने आया। शंकर ने जांच एजेंसियों को बताया कि नीतीश इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड था और अभ्यर्थियों की आवाजाही, ठहरने और प्रश्नपत्र तक पहुंच की व्यवस्था उसी के जिम्मे थी। इसी इनपुट के आधार पर सीबीआई और ईओयू की टीम नीतीश की तलाश में लगातार दबिश दे रही थी।
बताया जाता है कि नीतीश कुमार ही उन अभ्यर्थियों को बस के जरिए लेकर आंध्रप्रदेश की ओर जा रहा था, जिन्हें प्रश्नपत्र लीक कर परीक्षा में बैठाने की योजना थी। एक बार पुलिस ने उसे पकड़ भी लिया था, लेकिन वह चकमा देकर फरार होने में सफल रहा। इसके बाद से वह लगातार लोकेशन बदल रहा था। हाल ही में तकनीकी निगरानी और खुफिया सूचना के आधार पर उसकी लोकेशन खुसरूपुर में ट्रेस की गई, जिसके बाद संयुक्त टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
जांच में यह भी सामने आया है कि परीक्षा माफिया रवि भूषण और बिजेंद्र कुमार ने शंकर पुष्टि के साथ मिलकर दारोगा बहाली में ‘सेटिंग’ की थी। तीन अक्तूबर को माफियाओं ने एक बस बुक की और उसमें चयनित अभ्यर्थियों को बैठाकर आंध्रप्रदेश बॉर्डर की ओर ले जा रहे थे। योजना यह थी कि परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों को सुरक्षित स्थान पर रखकर उन्हें प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया जाए और फिर परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाया जाए। हालांकि, ओडिशा पुलिस ने समय रहते इस साजिश का भंडाफोड़ कर दिया और बस को रोककर 117 लोगों को हिरासत में ले लिया।
इस कार्रवाई के बाद मामला और गंभीर हो गया। ओडिशा पुलिस की प्रारंभिक जांच में अंतरराज्यीय संगठित गिरोह के संकेत मिलने पर सीबीआई को जांच सौंपी गई। सीबीआई ने ईओयू के साथ मिलकर जांच का दायरा बढ़ाया और बिहार में सक्रिय परीक्षा माफिया नेटवर्क पर शिकंजा कसना शुरू किया। नीतीश कुमार की गिरफ्तारी को इसी कड़ी में बड़ी सफलता माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश से पूछताछ में कई और नाम सामने आ सकते हैं। आशंका जताई जा रही है कि बिहार से जुड़े कुछ अन्य परीक्षा माफिया और सहयोगी भी इस नेटवर्क का हिस्सा रहे हैं, जिनकी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है। एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही हैं कि प्रश्नपत्र कहां से और किस स्तर पर लीक हुआ, तथा इसमें किसी अंदरूनी व्यक्ति की भूमिका तो नहीं रही।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच एजेंसियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और परीक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। नीतीश कुमार की गिरफ्तारी के बाद अब इस मामले में आगे और बड़े खुलासों की उम्मीद की जा रही है।