1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 19 Jun 2025 10:18:09 AM IST
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Bihar News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने वर्ष 2018 के भड़काऊ भाषण मामले में अररिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) द्वारा लिए गए संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति चंद्र शेखर झा की एकल पीठ ने की। कोर्ट ने 15 पन्नों के विस्तृत आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत आरोपों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) की धारा 125 के तहत कोई ठोस आधार नहीं पाया गया, जिसके चलते संज्ञान आदेश और आरोप पत्र को निरस्त कर दिया गया।
यह मामला 9 मार्च 2018 को अररिया जिले के नरपतगंज थाना कांड संख्या 129/2018 से जुड़ा है। आरोप था कि नित्यानंद राय ने नरपतगंज हाईस्कूल में एक चुनावी सभा के दौरान ऐसा भाषण दिया, जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला और आचार संहिता का उल्लंघन माना गया।
अंचलाधिकारी (CO) की लिखित शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया था कि नित्यानंद राय ने एक राजनीतिक दल के उम्मीदवार के बारे में कहा था कि यदि वे जीत जाते हैं, तो "अररिया आईएसआईएस का अड्डा बन जाएगा।" इस टिप्पणी को नफरत फैलाने वाला भाषण करार देते हुए केस दर्ज किया गया और पुलिस द्वारा जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया।
केन्द्रीय मंत्री के अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट में दलील दी कि यह पूरा मामला राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और पूरी प्राथमिकी मनगढ़ंत और तथ्यहीन है। उन्होंने कहा भाषण में किसी धर्म, जाति या समुदाय का नाम नहीं लिया गया है। आईएसआईएस एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है, और उस संदर्भ में दिए गए बयान को देशद्रोह या सांप्रदायिकता से जोड़ना अनुचित है।
प्राथमिकी प्रभावित प्रत्याशी द्वारा नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी (CO) द्वारा दर्ज कराई गई थी। यह भी स्पष्ट किया गया कि भाषण में कोई ऐसा संकेत नहीं था जिससे किसी समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची हो।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए यह पाया कि आरोप पत्र और संज्ञान आदेश में प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक तत्व नहीं पाया गया है। न्यायालय ने यह भी कहा कि केवल राजनीतिक मतभेदों के आधार पर आपराधिक मामला चलाना न्यायसंगत नहीं है।
यह फैसला उस वक्त आया है जब बिहार की राजनीति में 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। नित्यानंद राय भाजपा के एक प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं और पार्टी के रणनीतिकारों में गिने जाते हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले से जहां उन्हें कानूनी राहत मिली है, वहीं भाजपा को भी एक राजनीतिक बढ़त मिल सकती है।