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Suraj Bhan Singh : पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को 1 साल, रामलखन सिंह को 4 साल की सजा, विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ी टेंशन

मामला एफसीआई ओपी क्षेत्र का है. जहां 9 अक्टूबर 1992 को छापेमारी करने गई पुलिस टीम पर गोलीबारी किया गया था. मौके पर से भारी पैमाने पर हथियार बरामद किए गए थे. एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सह एडीजे-टू संजय कुमार साहू ने बरौनी थाना कांड-406/92 की

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 08:33:52 AM IST

surgbhan singh

surgbhan singh - फ़ोटो FILE PHOTO

Suraj Bhan Singh : बिहार के बेगूसराय के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और भाजपा नेता राम लखन सिंह को दोषी करार दिया है।राम लखन सिंह और उनके ड्राइवर वीरेंद्र ईश्वर को 4 साल की सजा और जुर्माना लगाया गया है, जबकि सूरजभान सिंह को 1 साल की सजा और जमानत दी गई है। मामला 1992 का है, जब पुलिस पर गोलीबारी हुई थी और भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए थे। कोर्ट ने विभिन्न धाराओं में सजा सुनाई है, जिसमें राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को 4 साल तक की सजा और जुर्माना शामिल है।


यह मामला बिहार के बेगूसराय जिले से जुड़ा है, जहां एमपी-एमएलए कोर्ट ने 33 साल पुराने एक संवेदनशील मामले में सजा सुनाई है। अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को 1 साल की सजा, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर उर्फ शोषण सिंह को 4-4 साल की सजा दी। फैसले के बाद राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, वहीं सूरजभान सिंह को केवल 1 साल की सजा होने के कारण जमानत मिल गई।


यह घटना 9 अक्टूबर 1992 की है। एफसीआई थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस को सूचना मिली थी कि एक मोम फैक्ट्री में हथियारबंद बदमाश छिपे हुए हैं। सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी की, लेकिन वहां मौजूद बदमाशों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया और गोलियां चलाईं। इसी दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को पुलिस ने मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया था, जबकि सूरजभान सिंह भागने में सफल रहे।


घटना के बाद एफसीआई थाना में कार्यरत एएसआई उमाशंकर सिंह ने बरौनी थाना कांड संख्या 406/92 दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान कुल 12 गवाहों की गवाही अदालत में दर्ज हुई। गवाहों में उस समय के जिलाधिकारी रामेश्वर सिंह ने भी कोर्ट में घटनाक्रम की पुष्टि की। लंबे समय से यह मामला न्यायालय में लंबित था और आखिरकार 33 साल बाद अदालत ने फैसला सुनाकर इसे अंजाम तक पहुंचाया।


कोर्ट ने सजा के विवरण में स्पष्ट किया कि राम लखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत 4 साल, धारा 353 (सरकारी काम में बाधा) के तहत 1 साल, आर्म्स एक्ट की धारा 26 के तहत 3 साल और धारा 27 के तहत 3 साल की सजा दी गई। वहीं, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को केवल धारा 353 के तहत 1 साल की सजा सुनाई गई।


पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के वकील मंसूर आलम ने जमानत की गुहार लगाई, जिस पर कोर्ट ने मंजूरी दे दी। इस फैसले के साथ तीन दशक पुराना यह विवाद न्यायिक निष्कर्ष तक पहुंच गया। यह मामला न केवल उस समय की राजनीतिक और आपराधिक परिस्थितियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि देर से ही सही, न्याय अंततः मिलता है।