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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 10:33:44 AM IST
बिहार भाजपा - फ़ोटो FILE PHOTO
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अब कभी भी हो सकता है। निर्वाचन आयोग की तैयारियों और राजनीतिक गतिविधियों को देखकर यह कयास लगाया जा रहा है कि अगले महीने ही चुनाव की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। ऐसे में राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। इसी कड़ी में भाजपा ने भी अंदरूनी तैयारी तेज कर दी है। पार्टी ने दो दिनों की विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन पर चर्चा होगी।
लेकिन इससे पहले भाजपा ने अपने सभी जिलों और इलाकों से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले नेताओं का बायोडाटा मांगा था। इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी कार्यालय में बायोडाटा का अंबार लग गया है। जानकारी के मुताबिक, अब तक पांच हजार से ज्यादा लोग भाजपा से टिकट पाने के लिए आवेदन कर चुके हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है और हर दिन नए आवेदन पार्टी मुख्यालय पहुंच रहे हैं।
इन आवेदनों में सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। अधिकांश आवेदक 35 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। इनमें पार्टी से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता, पूर्व विधायक, ग्राम पंचायत एवं नगर निकाय प्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। यह प्रवृत्ति बताती है कि युवा वर्ग इस बार राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि नए चेहरे जनता के बीच उत्साह और ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।
दूसरी ओर, कई ऐसे लोग भी बायोडाटा जमा कर रहे हैं जिनकी उम्र अब 70 वर्ष के आसपास है। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिन्हें कभी चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला। अब वे अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए टिकट मांग रहे हैं। दिलचस्प यह है कि कई वरिष्ठ नेता-कार्यकर्ता यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे जनसुराज जैसी दूसरी पार्टियों में शामिल हो जाएंगे या किसी अन्य दल से चुनाव मैदान में उतरेंगे। पार्टी नेतृत्व के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है।
भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार, पटना जिले के कुम्हरार और दानापुर विधानसभा क्षेत्रों से सबसे ज्यादा बायोडाटा जमा हुए हैं। इन सीटों पर टिकट की होड़ सबसे तीखी बताई जा रही है। पार्टी के अंदरखाने में चर्चा है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों के मौजूदा विधायक उम्रदराज हैं, वहां नए चेहरों को मौका मिल सकता है। इसी कारण उन क्षेत्रों से आवेदन की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 80 विधायक जीतकर आए थे। उस समय एनडीए में चार दल थे। लेकिन इस बार गठबंधन में पांच दल शामिल हैं—भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास), हम और रालोमो। ऐसे में भाजपा कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह आने वाले दो हफ्तों में स्पष्ट होगा। हालांकि टिकट के दावेदारों की भारी भीड़ देखकर साफ है कि पार्टी को उम्मीदवार चयन में कड़ा मंथन करना पड़ेगा।
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि कई मौजूदा विधायकों का टिकट इस बार कट सकता है। खासकर ऐसे विधायक जो लंबे समय से सीट पर काबिज हैं और अब उम्रदराज हो चुके हैं। यही वजह है कि नए दावेदार सक्रिय रूप से आगे आकर बायोडाटा जमा कर रहे हैं और वरिष्ठ नेताओं से मिलकर अपना दावा भी मजबूत कर रहे हैं। कई आवेदक यह तर्क दे रहे हैं कि उन्होंने वर्षों तक पार्टी की सेवा की है और अब मौका मिलना चाहिए।
इतनी बड़ी संख्या में आवेदनों ने भाजपा नेतृत्व के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर पार्टी को युवा और नए चेहरों को मौका देने का दबाव है, तो दूसरी ओर पुराने और वरिष्ठ नेता भी अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। यदि सभी को साधकर टिकट वितरण नहीं किया गया, तो असंतोष के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है। कुल मिलाकर, बिहार भाजपा में टिकट की जंग पूरे उफान पर है। पांच हजार से अधिक बायोडाटा और दावेदारों की भारी भीड़ बताती है कि विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है। अब सबकी निगाहें भाजपा की आगामी बैठक और एनडीए के सीट बंटवारे पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह पुराने और नए चेहरों के बीच संतुलन बनाते हुए चुनावी मैदान में उतरती है।