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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 05 Jun 2025 07:06:04 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो google
Bihar News: बिहार की जलधाराएं गंभीर संकट से जूझ रही हैं। जल संसाधन विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार राज्य की 50 से अधिक नदियां संकटग्रस्त स्थिति में पहुंच चुकी हैं, जिनमें से 32 बड़ी नदियां पूरी तरह से सूख चुकी हैं, जबकि 18 नदियों में इतना भी पानी नहीं बचा कि उसे मापा जा सके। शेष नदियों में भी पानी तेजी से घट रहा है, जिससे आगामी दिनों में जल संकट और भी गहरा सकता है।
यह चिंताजनक स्थिति तब है जबकि इस वर्ष प्री-मानसून सीजन में सामान्य से 5% अधिक (62.3 मिमी) वर्षा दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, सामान्य से अधिक वर्षा के बावजूद नदियों का सूखना एक अप्राकृतिक व चिंताजनक संकेत है, जो राज्य के पर्यावरणीय संतुलन और जल प्रबंधन प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करता है।
सबसे हैरतअंगेज पहलू यह है कि गंगा, सोन, अधवारा, करेह और बागमती जैसी बड़ी नदियां भी जलसंकट की चपेट में हैं। इन प्रमुख नदियों में जलस्तर लगातार घट रहा है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले महीनों में इनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के हर क्षेत्र में नदियों की हालत बिगड़ी है, लेकिन 22 जिलों में स्थिति अत्यंत गंभीर है। नालंदा जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहाँ छह से अधिक नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं। राजधानी पटना की भी दो प्रमुख नदियों में अब पानी शेष नहीं है। वहीं गया, मुजफ्फरपुर, सीवान, और समस्तीपुर जैसे जिलों में भी जलधाराएं तेजी से सिकुड़ रही हैं।
विभागीय आंकड़े बताते हैं कि पांच वर्ष पूर्व मात्र पांच नदियां सूखी थीं, जिनमें गया की मोरहर और जमुने, तथा नालंदा की मोहाने, लोकाइन और धोबा नदियां शामिल थीं। ये नदियां अब भी सूखी हुई हैं और मृतप्राय स्थिति में पहुँच चुकी हैं।
जल विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्रा ने चेताया है कि इस संकट का सबसे बड़ा कारण भूजल का अत्यधिक दोहन है। उन्होंने कहाहमने पानी निकालने की योजनाएं तो खूब बनाई, लेकिन पुनर्भरण (रीचार्ज) की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इससे भूमिगत जलस्तर गिरा और नदियों का जलस्रोत भी सूखने लगा। सबसे ज्यादा मार नदियों पर ही पड़ी है।”
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि हमारी नदियां संकट में हैं। गाद (सिल्ट) जमाव एक बड़ी समस्या बन गई है। इससे जलधाराएं अवरुद्ध हो रही हैं और जल बहाव प्रभावित हो रहा है। हमने केंद्र सरकार से गाद प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की है।”
विशेषज्ञों की सिफारिशें
गहन गाद प्रबंधन नीति बनाना और उसे लागू करना।
वर्षा जल संचयन (रेनवॉटर हार्वेस्टिंग) को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अनिवार्य बनाना।
पुनर्भरण कुओं और तालाबों का निर्माण।
भूजल दोहन पर नियंत्रण और निगरानी।
स्थानीय जल स्रोतों की बहाली के लिए सामुदायिक भागीदारी।
बिहार की नदियों की यह स्थिति केवल एक जल संकट नहीं, बल्कि आगामी पर्यावरणीय आपदा की चेतावनी है। यह समय है जब राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर ठोस जलनीति, वैज्ञानिक प्रबंधन और जन-जागरूकता की दिशा में तेज़ी से कार्य करना होगा, अन्यथा आने वाली पीढ़ियों को इसका भारी मूल्य चुकाना पड़ेगा।