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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 02 Dec 2025 09:43:25 AM IST
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Anant Singh oath : बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है, जो कुल पांच दिनों तक चलेगा। सत्र के पहले दिन कुल 235 नवनिर्वाचित विधायकों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस अवसर पर विधानसभा सचिव ने विधायकों को क्रमवार आमंत्रित किया, जबकि प्रोटेम स्पीकर ने शपथ ग्रहण से पहले सदन को संबोधित किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस दौरान सदन में मौजूद रहे और उन्होंने विधायकों को शुभकामनाएं दी। पहले दिन का कार्यक्रम बिना किसी बड़ी बाधा के संपन्न हुआ, लेकिन कई विधायकों ने शपथ ग्रहण समारोह में भाग नहीं लिया।
सत्र का दूसरा दिन आज है और इस दिन विधानसभा में सबसे महत्वपूर्ण कार्य स्पीकर के चुनाव का है। इसके साथ ही बचे हुए विधायकों का शपथ ग्रहण भी किया जाएगा। इस सूची में खास नाम है मोकामा से विधायक अनंत सिंह का। अनंत सिंह फिलहाल दुलारचंद यादव हत्याकांड के मामले में जेल में बंद हैं। ऐसे में उन्हें आज पैरोल पर विशेष अनुमति दी गई है, ताकि वे शपथ ग्रहण कर सकें। शपथ लेने के बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा के साथ बेउर जेल वापस ले जाया जाएगा।
संविधान के आर्टिकल 188 और 193 के अनुसार, हर विधायक के लिए शपथ लेना अनिवार्य है। शपथ लेने के बिना कोई भी विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकता और उसे सदस्यता से जुड़े किसी भी लाभ या वेतन का अधिकार नहीं होता। यदि कोई विधायक बिना शपथ लिए सदन में बैठता है, तो आर्टिकल 193 के तहत प्रति बैठक 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
पहले दिन कुल सात विधायक शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो सके। इनमें मदन सहनी, जीवेश मिश्रा, विनय बिहारी, अनंत सिंह, केदारनाथ सिंह, डॉ. सुनील कुमार और अमरेंद्र पांडेय शामिल हैं। इनमें से अनंत सिंह जेल में होने के कारण शपथ नहीं ले पाए, जबकि बाकी छह विधायक व्यक्तिगत कारणों से उपस्थित नहीं हो सके।
अनंत सिंह जेडीयू के सिंबल पर मोकामा से विधायक चुने गए हैं। वे 1 नवंबर से दुलारचंद यादव हत्या मामले में जेल में बंद हैं। यह मामला 30 अक्टूबर को जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी और जेडीयू समर्थकों के बीच हुई झड़प के दौरान आरजेडी नेता दुलारचंद यादव की मौत से जुड़ा है। परिवार ने इसे हत्या बताया और FIR में अनंत सिंह का नाम शामिल किया गया। निचली अदालत ने 20 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद मामला पटना हाईकोर्ट में पहुंचा। उनके वकीलों ने कोर्ट से कहा कि विधायक के तौर पर उन्हें 1 से 5 दिसंबर के बीच शपथ लेना अनिवार्य है, इसलिए अंतरिम जमानत या पैरोल देकर शपथ लेने की अनुमति दी जाए।
अनंत सिंह का यह अनुभव नया नहीं है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी वे जेल से ही चुनाव जीतकर आए थे। उस समय भी उन्होंने पैरोल पर शपथ ग्रहण की थी और अदालत ने उनकी अर्जी को स्वीकार कर उन्हें विधानसभा पहुंचने की अनुमति दी थी। आज भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
शपथ ग्रहण का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि संविधान के अनुसार शपथ लेने के बिना कोई विधायक सदन में भाग नहीं ले सकता। शपथ ग्रहण के बाद ही वह विधायी कार्यों में भाग ले सकता है और वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं का हकदार बनता है। अनंत सिंह की शपथ ग्रहण प्रक्रिया विशेष सुरक्षा के बीच पूरी की जाएगी, जिसमें उन्हें विधानसभा तक और वापसी में पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
बिहार विधानसभा के सत्र का यह दूसरा दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्पीकर के चुनाव के लिए सदन पूरी तरह से सक्रिय रहेगा। शपथ ग्रहण और स्पीकर चुनाव के साथ ही विधानसभा की कार्यवाही औपचारिक रूप से शुरू होगी। विधायकों की उपस्थिति और शपथ ग्रहण प्रक्रिया सदन की स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पुष्टि करती है।
अनंत सिंह की शपथ ग्रहण की प्रक्रिया राज्य की राजनीति में विशेष ध्यान का विषय बनी हुई है। जेल से विधायक बनना और पैरोल पर शपथ ग्रहण करना उनके राजनीतिक करियर की एक महत्वपूर्ण घटना है। यह दर्शाता है कि कानून और लोकतंत्र के नियमों के अंतर्गत विशेष परिस्थितियों में विधायक अपने कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं।
इस प्रकार, आज के सत्र में शपथ ग्रहण और स्पीकर का चुनाव मुख्य आकर्षण हैं। विधानसभा में विधायकों की सक्रिय भागीदारी, विशेष रूप से अनंत सिंह जैसे विवादास्पद मामलों में शामिल विधायकों की शपथ ग्रहण प्रक्रिया, राज्य की लोकतांत्रिक परंपराओं और कानून के पालन को दर्शाती है। शपथ ग्रहण के बाद ही विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार प्राप्त होगा। आज का दिन विधानसभा की कार्यवाही की दिशा और सदन की स्थिरता दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।