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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 30 Sep 2025 12:53:46 PM IST
Bihar teacher transfer - फ़ोटो FILE PHOTO
Bihar teacher transfer : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षा विभाग की ओर से एक बड़ा अपडेट सामने आया है। राज्य में सरकारी स्कूलों के करीब 17 हजार शिक्षकों का ट्रांसफर चुनाव के बाद किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में जरूरी तैयारी लगभग पूरी कर ली है। दरअसल, शिक्षकों की ओर से ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर 23 से 28 सितंबर तक ट्रांसफर के लिए आवेदन दिये गये थे। यह वही शिक्षक हैं जिनके पहले विकल्पों में सीटें उपलब्ध नहीं हो पाई थीं। अब इन शिक्षकों को तीन नये जिलों के विकल्प देकर आवेदन करने का एक और मौका मिला था।
सूत्रों के अनुसार, चुनावी व्यस्तताओं और आचार संहिता लागू होने के कारण ट्रांसफर की औपचारिक प्रक्रिया भले ही पहले पूरी कर ली जाएगी, लेकिन नई पोस्टिंग विधानसभा चुनाव के बाद ही संभव होगी। चुनाव प्रक्रिया में बड़ी संख्या में शिक्षक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहते हैं। यही वजह है कि विभाग ने फैसला किया है कि नई पदस्थापनाएं चुनाव खत्म होने के बाद ही प्रभावी होंगी।
राज्य सरकार ने शिक्षकों को पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम लागू किया है। इस बार भी शिक्षकों ने पोर्टल पर आवेदन कर तीन जिलों का विकल्प दिया था। पहले दौर में सीटें उपलब्ध न होने से कई शिक्षकों का ट्रांसफर लंबित रह गया था। बाद में शिक्षा विभाग ने उन सभी को दोबारा मौका दिया। अनुमान है कि कुल 15 से 17 हजार शिक्षक इस प्रक्रिया के अंतर्गत ट्रांसफर हो सकेंगे।
शिक्षा विभाग ने चुनाव आयोग की गाइडलाइन और आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है कि चुनाव से पहले केवल कागजी कार्रवाई पूरी की जाएगी। लेकिन नई तैनाती चुनाव बाद प्रभावी होगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि चुनावी कामकाज में किसी तरह की बाधा न आए और आचार संहिता का उल्लंघन न हो।
शिक्षकों के ट्रांसफर के साथ ही राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता लाने के लिए नये नियम लागू किए हैं। अब हर रोज यह दर्ज करना होगा कि बच्चों को स्कूल में क्या पढ़ाया गया और उन्हें किस तरह का होमवर्क दिया गया। अभी तक यह जिम्मेदारी केवल प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक की होती थी, लेकिन अब इसे सीधे-सीधे संबंधित शिक्षक के नाम से दर्ज किया जाएगा। इस व्यवस्था का मकसद है कि प्रत्येक शिक्षक की जवाबदेही तय हो और यह साफ हो सके कि बच्चों को कौन-सा अध्याय पढ़ाया गया और आगे की तैयारी कैसे कराई जा रही है।
नये आदेश के मुताबिक, क्लास मॉनिटर को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है। मॉनिटर इस बात पर नज़र रखेगा कि शिक्षक की पढ़ाई से बच्चे संतुष्ट हैं या नहीं। इसके आधार पर वह एक सूची तैयार करेगा और उसे प्रधानाध्यापक को सौंपेगा। प्रधानाध्यापक उस रिपोर्ट को जिला शिक्षा कार्यालय के वरीय अधिकारी तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा, शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि इस प्रक्रिया में यूथ क्लब के सदस्यों की भी सहायता ली जाएगी। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई पर सतत निगरानी रहेगी, बल्कि शिक्षकों की जिम्मेदारी भी और स्पष्ट होगी।
इन नए बदलावों का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। अब यह केवल औपचारिकता नहीं होगी कि कक्षा में उपस्थिति दर्ज हो गई और अध्यापन पूरा माना गया। बल्कि यह देखा जाएगा कि बच्चों ने क्या सीखा और उन्हें समझने में कितनी मदद मिली। क्लास मॉनिटर की रिपोर्ट से यह भी आकलन होगा कि कौन-सा शिक्षक कितनी प्रभावी तरीके से पढ़ा रहा है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, इससे शिक्षा की स्थिति पर वास्तविक तस्वीर सामने आएगी और किसी भी तरह की लापरवाही को तुरंत चिन्हित किया जा सकेगा।
बिहार में शिक्षकों का लंबे समय से ट्रांसफर लंबित था। अब करीब 17 हजार शिक्षकों के लिए यह प्रक्रिया पूरी होने जा रही है, हालांकि चुनावी माहौल को देखते हुए नई पोस्टिंग में थोड़ी देरी होगी। इसके साथ ही शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के लिए जो नये कदम उठाए गये हैं, वे आने वाले दिनों में राज्य की शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।