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Bihar Teacher: शिक्षा विभाग का एक्शन, अब ऐसा करने पर टीचर के साथ प्रिंसिपल की भी चली जाएगी नौकरी; जानिए क्या है पूरी खबर

बिहार में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की फर्जी अटेंडेंस पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। ई-शिक्षा कोष पर गलत उपस्थिति दर्ज करने पर शिक्षक और प्रधानाध्यापक दोनों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Dec 2025 02:21:41 PM IST

Bihar Teacher: शिक्षा विभाग का एक्शन, अब ऐसा करने पर टीचर के साथ प्रिंसिपल की भी चली जाएगी नौकरी; जानिए क्या है पूरी खबर

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Bihar Teacher : बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर शिक्षा विभाग अब पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आ रहा है। विभाग को लगातार शिक्षकों द्वारा फर्जी अटेंडेंस दर्ज करने की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद इसे गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठाए गए हैं। विभाग ने साफ कर दिया है कि ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर यदि कोई भी शिक्षक अपनी उपस्थिति फोटो या किसी अन्य माध्यम से फर्जी तरीके से दर्ज कराता है, तो उस शिक्षक के साथ-साथ संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक को भी जिम्मेदार माना जाएगा। दोनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए ‘सेवा मुक्त’ तक किया जा सकता है।


शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि दिसंबर महीने में जिला स्तर पर गठित की गई विशेष मॉनिटरिंग सेल शिक्षकों की उपस्थिति पर पैनी नजर रखेगी। यह सेल समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करेगी और ई-शिक्षा कोष पर दर्ज उपस्थिति के मिलान की भी प्रक्रिया अपनाएगी। विभाग का उद्देश्य शिक्षकों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना है ताकि शिक्षण कार्य में किसी तरह की बाधा न आए।


विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कोई भी शिक्षक बिना छुट्टी स्वीकृत कराए स्कूल से अनुपस्थित रहता है, तो उसे नोटिस भेजकर जवाब तलब किया जाएगा। इसके साथ ही, उस दिन की पूरी सैलरी काट ली जाएगी। जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) द्वारा सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों (BEO) को पत्र जारी कर उपस्थिति से संबंधित गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है।


शिक्षा विभाग का कहना है कि फर्जी उपस्थिति दर्ज करना गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है और यह अध्यापन व्यवस्था को बाधित करने वाला कदम है। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी और दोषी शिक्षकों के विरुद्ध सीधे विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।


बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से अब तकनीक का उपयोग भी बढ़ाया जा रहा है। विभाग ने टैबलेट के जरिए शिक्षण कार्य की मॉनिटरिंग शुरू की है। पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के पांच स्कूलों में एक-एक टैबलेट उपलब्ध कराया गया था। इस प्रोजेक्ट को सफल मानते हुए अब इसे सभी स्कूलों में लागू करने की योजना शुरू हो गई है।


टैबलेट के माध्यम से शिक्षक की उपस्थिति, कक्षा का संचालन, शिक्षण स्तर और छात्रों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग रियल टाइम में की जाएगी। विभाग का मानना है कि इससे शिक्षकों की मनमानी पर रोक लगेगी और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।


शिक्षकों की उपस्थिति के साथ-साथ ट्रांसफर-पोस्टिंग प्रणाली को लेकर भी सरकार सख्त और पारदर्शी रुख अपना रही है। हाल ही में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने तबादले को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि विभाग द्वारा बनाई गई गाइडलाइन पूरी तरह पारदर्शी है। तबादलों में अधिकतर शिक्षकों की सुविधा का ध्यान रखा गया है, लेकिन स्कूलों की आवश्यकता सर्वोपरि है।


उन्होंने बताया कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी थी, वहां शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की गई है। खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए वहां पर्याप्त संख्या में शिक्षक भेजे गए हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि ट्रांसफर प्रक्रिया के दौरान स्टूडेंट-टीचर अनुपात को संतुलित रखना प्राथमिकता रही है ताकि किसी भी स्कूल में शिक्षण कार्य प्रभावित न हो।


विभाग के इस नए सख्त कदम से शिक्षकों की उपस्थिति प्रणाली में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। फर्जी उपस्थिति रोकने, छुट्टी की पारदर्शिता बनाए रखने और तकनीक आधारित मॉनिटरिंग से न केवल अनुशासन बढ़ेगा बल्कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। शिक्षा विभाग का कहना है कि आने वाले महीनों में उपस्थिति को लेकर और भी कड़े प्रावधान लागू किए जा सकते हैं। बिहार सरकार की इस पहल से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में स्कूलों की स्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता दोनों को मजबूत करेगा।