EWS Reservation Bihar : बिहार में सवर्ण गरीबों को राहत? सरकारी नौकरी की आयु-सीमा बढ़ाने की अनुशंसा, नौकरी और शिक्षा में मिल सकती है राहत

बिहार में सवर्ण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को लेकर राज्य सरकार के समक्ष एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा गया है। सवर्ण आयोग ने सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत अगड़ी जाति के गरीब पुरुषों की अधिकतम आयु-सीमा 37 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष करने क

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 22 Dec 2025 08:43:27 AM IST

EWS Reservation Bihar : बिहार में सवर्ण गरीबों को राहत? सरकारी नौकरी की आयु-सीमा बढ़ाने की अनुशंसा, नौकरी और शिक्षा में मिल सकती है राहत

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EWS Reservation Bihar : बिहार में सवर्ण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को लेकर राज्य आयोग ने सरकार के समक्ष कई अहम सिफारिशें रखी हैं। इन सिफारिशों का उद्देश्य उच्च जाति के गरीबों को शिक्षा, रोजगार और स्वरोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराना है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि इन प्रस्तावों को लागू किया जाता है तो सवर्ण समाज के युवाओं को सरकारी नौकरियों और प्रतियोगी परीक्षाओं में समान अवसर मिल सकेगा।


सरकारी नौकरियों में आयु-सीमा बढ़ाने की सिफारिश

सवर्ण आयोग ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अंतर्गत आने वाले पुरुष अभ्यर्थियों के लिए सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु-सीमा 37 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष करने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि वर्तमान आयु-सीमा के कारण इस वर्ग के पुरुष उम्मीदवारों को आरक्षण का वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। आयोग ने तर्क दिया कि अन्य आरक्षित वर्गों के लिए पहले से ही अधिकतम आयु-सीमा में छूट की व्यवस्था है, जबकि EWS के अंतर्गत आने वाले सवर्ण पुरुष इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं।


फिलहाल बिहार में EWS श्रेणी की महिलाओं के लिए अधिकतम आयु-सीमा 40 वर्ष निर्धारित है। आयोग ने पुरुषों के लिए भी इसी के बराबर आयु-सीमा तय करने का सुझाव दिया है, ताकि लैंगिक समानता के साथ-साथ सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित हो सके।


हर जिले में सवर्ण छात्रों के लिए छात्रावास योजना

आयोग ने सवर्ण समाज के छात्र-छात्राओं के लिए राज्य के हर जिले में 100-100 बेड वाले छात्रावास की योजना तैयार करने की अनुशंसा की है। इन छात्रावासों का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को बेहतर माहौल उपलब्ध कराना है।


योजना के तहत उन युवक-युवतियों को छात्रावास में प्रवेश दिया जाएगा, जिन्होंने किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली हो। छात्रावास में रहने वाले छात्रों को मुख्य परीक्षा में सफलता दिलाने के लिए कोचिंग की सुविधा दी जाएगी। आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि यदि कोई छात्र मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है, तब भी उसे अधिकतम दो वर्षों तक छात्रावास में रहने की अनुमति दी जाए। इस अवधि के दौरान उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे किसी रोजगार या नौकरी के लिए खुद को तैयार कर सकें।


उच्च जाति वित्त निगम की स्थापना का प्रस्ताव

सवर्ण आयोग ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उच्च जाति वित्त निगम की स्थापना की भी सिफारिश की है। इस निगम के माध्यम से उच्च जातियों के गरीब लोगों को अपने व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी।


आयोग का मानना है कि यदि उच्च जाति के युवाओं को आसान शर्तों पर ऋण और आर्थिक सहयोग मिले, तो वे स्वरोजगार की ओर बढ़ सकेंगे और बेरोजगारी की समस्या कम होगी। निगम के तहत लाभार्थियों के परियोजना प्रस्तावों का मूल्यांकन कर उनके गुण-दोष के आधार पर वित्तीय सुविधा देने पर निर्णय लिया जाएगा।


आयोग का पक्ष और आगे की प्रक्रिया

उच्च जातियों के विकास के लिए राज्य आयोग, बिहार के अध्यक्ष महाचंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि आयोग ने सवर्ण समाज के गरीब तबके के हित में कई महत्वपूर्ण अनुशंसाएं राज्य सरकार को भेजी हैं। उन्होंने कहा कि आयोग ने सर्वसम्मति से इन प्रस्तावों को लागू किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।


हालांकि, इन सभी सिफारिशों पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार के स्तर पर लिया जाएगा। यदि सरकार इन प्रस्तावों को मंजूरी देती है, तो इससे सवर्ण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा, रोजगार और स्वरोजगार के क्षेत्र में नई दिशा मिल सकती है। आयोग का मानना है कि ये कदम सामाजिक संतुलन और समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे।