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1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Tue, 02 Dec 2025 03:20:59 PM IST
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Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पथ निर्माण विभाग ने फर्जी चालान के आधार 26 करोड़ के अवैध भुगतान मामले में निलंबित दो कार्यपालक अभियंताओं को क्लीनचिट दे दिया. जिस अधिकारी की रिपोर्ट पर बड़े घोटाले का खुलासा हुआ था, उसी अधिकारी की दूसरी रिपोर्ट का हवाला देकर दोनों को आरोप मुक्त कर फील्ड पोस्टिंग दी गई। 4 सितंबर को क्लीनचिट और 29 सितंबर को फिर से फील्ड में कार्यपालक अभियंता के तौर पर पोस्टिंग मिल गई. पाकुड़ के उसी जिला खनन पदाधिकारी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया, जिस अधिकारी की रिपोर्ट पर बड़े खेल का खुलासा हुआ था. तब के पथ निर्माण विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मामले में संज्ञान लिया था. इसके बाद जांच बैठी, शुरूआती जांच में भी आरोप सही पाये गए थे. इसके बाद 16 मई 2025 को गया पथ प्रमंडल सं-1 के दो तत्कालीन कार्यपालक अभियंताओं को सस्पेंड किया गया था.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ काम...
पथ निर्माण विभाग ने 4 सितंबर 2025 को अधिसूचना जारी किया. जिसमें गया पथ प्रमंडल संख्या-1 के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार को निलंबन मुक्त करते हुए निलंबन अवधि का पूर्ण वेतन-भत्ता के साथ उसे कर्तव्य अवधि के रूप में विनियमित किया गया. यानि आरोप मुक्त कर दिया गया. पथ निर्माण विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि सुशील कुमार तत्कालीन कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल गया जो निलंबित अधीक्षण अभियंता निलंबित हैं, इनके पदस्थापन अवधि में तीन सड़क..... भिंडस से चमनडीह, वजीरगंज से तपोवन एवं सेवतर से जमुआवा पथ के निर्माण कार्य में प्रयुक्त खनिज सामग्री के संबंध में संवेदक को एक्स्ट्रा कैरेज कॉस्ट की राशि भुगतान में अनियमितता की गई। इस आरोप के लिए इन्हें 16 मई 2025 को निलंबित किया गया था. साथ ही 2 जुलाई 2025 को विभागीय कार्रवाई संचालित कर स्पष्टीकरण मांगा गया था .
पाकुड़ खनन पदाधिकारी ने पहले फर्जी फिर सही बता दिया....
इस आलोक में सुशील कुमार ने 21 जुलाई एवं 6 अगस्त 2025 को अपना स्पष्टीकरण दिया. जिसमें विभागीय अनुरोध के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) के द्वारा 17 जुलाई 2025 के द्वारा इस मामले में संबंधित M एवं N FORM तथा चालान के सत्यापन से संबंधित निर्गत सभी पत्रों को संपुष्ट किया गया. मतलब सभी चालानों को सही करार दिया गया. विभाग ने आगे कहा कि सुशील कुमार का स्पष्टीकरण स्वीकार करने योग्य है. इसी के साथ पथ निर्माण विभाग ने गड़बड़ी करने के आरोप में निलंबित किए गए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता को निलंबन मुक्त करने के साथ-साथ पूर्ण वेतन एवं भत्ता देने का भी आदेश जारी कर दिया गया.
कार्यपालक अभियंता रितेश चंद्र सिन्हा को भी मिला क्लीन चिट
वही पथ निर्माण विभाग ने 4 सितंबर 2025 को दूसरा पत्र जारी किया. जिसमें दूसरे कार्यपालक अभियंता जो निलंबित थे, उन्हें भी बरी कर दिया. इसी मामले में निलंबित किए गए रितेश चंद्र सिन्हा तत्कालीन कार्यपालक अभियंता पत्र मंडल संख्या-1 गया को भी निलंबन मुक्त करते हुए उनके निलंबन अवधि का पूर्ण वेतन एवं भत्ता के साथ-साथ निलंबन अवधि को कर्तव्य अवधि के रूप में विनियमित किया गया . विभागीय अधिसूचना में कहा गया कि रितेश चंद्र सिंह को तीन पथों में प्रयुक्त सामग्री के संबंध में संवेदक को एक्स्ट्रा कैरिज कॉस्ट की भुगतान में पाई गई अनियमित की सूचना के बाद भी विलंब से कार्रवाई किए जाने, गलत सूचना देने के आरोप में 16 मई 2025 को निलंबित किया गया था . साथ ही 2 जुलाई 2025 के प्रभाव से स्पष्टीकरण मांगा गया था. इन्होंने 22 जुलाई 2025 को अपना स्पष्टीकरण दिया. जिसमें कहा गया कि जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ द्वारा 17 जुलाई 2025 के द्वारा इस मामले से संबंधित M एवं N FORM तथा चालान के सत्यापन से संबंधित निर्गत सभी पत्रों को संपुष्ट किया गया है.
दोनों को बरी कर 23 सितंबर को मिल गई पोस्टिंग...भ्रष्टाचार का आरोप हुआ दफन
दोनों कार्यपालक अभियंताों को जब पथ निर्माण विभाग ने इस बड़े खेल से बरी कर दिया. इसके बाद उन्हें पोस्टिंग दी गई. पथ निर्माण विभाग ने 23 सितंबर 2025 को पोस्टिंग का ऑर्डर जारी किया. जिसमें गया पथ प्रमंडल में एक्स्ट्रा कैरेज कॉस्ट भुगतान के इस खेल में निलंबित बाद में बरी किए गए रितेश चंद्र सिन्हा को कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल मधुबनी बनाया गया. वहीं अधीक्षण अभियंता सुशील कुमार को मुख्य अभियंता कार्यालय पटना में पोस्टिंग दी गई।
कैसे हुआ था 26 करोड़ के भ्रष्टाचार का खुलासा.....
दरअसल, इस बड़े घोटाले का आंतरिक खुलासा पथ प्रमंडल गया-1 के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता के पत्र से ही हुआ था. पथ प्रमंडल-1 गया के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता रीतेश चंद्र सिन्हा ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा था. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा था. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015,408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 को सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.
पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब..
पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र चालान फर्जी हैं। खुलासे के बाद पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा मामले को दबाकर चुप्पी साधे बैठे रहे. 1ST BIHAR/JHARKHAND ने जब मामले का खुलासा किया था,तब डिप्टी सीएम सह तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस कर बताया था कि बड़ा खेल हुआ है. जांच के आदेश दिए गए हैं. तब यह मामला काफी तूल पकड़ा था. तब उन्होंने बताया था कि संबंधित कार्यपालक अभियंता-अधीक्षण अभियंता प्रथम दृष्टया दोषी प्रतीत होते हैं. डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा था कि वे किसी को छोड़ने वाले नहीं हैं. पूरे खेल का खुलासा करेंगे और सख्त कार्रवाई करेंगे. बाद में एक अधीक्षण अभियंता और एक कार्यपालक अभियंता को सस्पेंड भी किया गया था.