MLA Oath Ceremony : कौन होता है प्रोटेम स्पीकर? नए विधायकों को शपथ दिलवाने की जिम्मेदारी क्यों दी जाती है; बिहार विधानसभा सत्र से पहले आप भी जान लें इस सवाल का जवाब Bihar encounter : बिहार में सम्राट का एक्शन शुरू ! सुबह -सुबह इस जगह हुआ एनकाउंटर, कुख्यात अपराधी को पुलिस ने मारी गोली Bihar Assembly Winter Session 2025 : बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण और डिजिटल सदन की शुरुआत बिहार में जनवरी से बदल सकता है जमीन का सर्किल रेट, पटना में तीन गुना तक महंगी होगी रजिस्ट्री Bihar weather update : बिहार में बढ़ेगी ठंड: दिसंबर के पहले सप्ताह से तापमान में गिरावट, कई जिलों में छाया कोहरा Bihar News: तेज रफ्तार बोलेरो और बाइक की जोरदार टक्कर, हादसे में एक की मौत; दूसरा युवक घायल Bihar News: तेज रफ्तार बोलेरो और बाइक की जोरदार टक्कर, हादसे में एक की मौत; दूसरा युवक घायल Bihar News: बिहार के युवाओं के लिए अच्छी खबर, इतने पदों पर होगी स्पोर्ट्स ट्रेनर की भर्ती; जान लीजिए लास्ट डेट Bihar News: बिहार के युवाओं के लिए अच्छी खबर, इतने पदों पर होगी स्पोर्ट्स ट्रेनर की भर्ती; जान लीजिए लास्ट डेट Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में कफ सिरप और विदेशी शराब की बड़ी खेप जब्त, नशे के तीन सौदागर अरेस्ट
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 01 Dec 2025 08:18:44 AM IST
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बिहार विधानसभा का नया सत्र शुरू होने से पहले सबसे अधिक चर्चा जिस पद की है, वह है प्रोटेम स्पीकर। विधानसभा के गठन के तुरंत बाद जब सभी दलों के नवनिर्वाचित विधायक सदन में आते हैं, तो सबसे पहले उन्हें शपथ दिलाने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया को संपन्न कराने वाला पदस्थ अधिकारी होता है— प्रोटेम स्पीकर। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि प्रोटेम स्पीकर कौन होता है, कैसे चुना जाता है और उसकी क्या भूमिका होती है? आइए विस्तार से समझते हैं।
क्या है प्रोटेम स्पीकर का पद?
‘प्रोटेम’ एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ होता है— फिलहाल के लिए या अस्थायी तौर पर। इसलिए विधानसभा के प्रारंभिक दिनों में चुना जाने वाला यह अधिकारी अस्थायी अध्यक्ष होता है। जब तक विधानसभा का नियमित स्पीकर निर्वाचित नहीं हो जाता, तब तक सदन की शुरुआती कार्यवाही प्रोटेम स्पीकर ही संभालता है।
यह पद स्थायी नहीं होता, बल्कि सिर्फ कुछ दिनों के लिए होता है। इसका मुख्य उद्देश्य है— नए विधायकों को शपथ दिलाना, विधानसभा का पहला सत्र शुरू कराना और स्थायी स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराना। यही वजह है कि यह पद भले ही अस्थायी हो, लेकिन संवैधानिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
कैसे चुना जाता है प्रोटेम स्पीकर?
प्रोटेम स्पीकर चुनने की प्रक्रिया बहुत विचार-विमर्श के साथ की जाती है। परंपरा के अनुसार राज्य सरकार सबसे वरिष्ठ विधायकों में से किसी एक का नाम राज्यपाल को भेजती है। वरिष्ठता की गणना विधायक के विधानसभा सदस्य रहने की अवधि, अनुभव और राजनीति में उनकी भूमिका के आधार पर की जाती है। राज्यपाल उस नाम को मंजूरी देकर उन्हें प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं। अक्सर यह भी ध्यान रखा जाता है कि प्रोटेम स्पीकर ऐसे विधायक हों जिनका स्वभाव शांत, निष्पक्ष और सदन की परंपराओं का सम्मान करने वाला हो।
नए विधायकों को शपथ दिलवाना सबसे अहम जिम्मेदारी
जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आते हैं तो राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही नए विधायक भी सदन में आते हैं। संविधान के अनुसार कोई भी विधायक तब तक सदन का हिस्सा नहीं माना जाता जब तक वह औपचारिक रूप से शपथ न ले ले। यही काम करता है प्रोटेम स्पीकर। वे राज्यपाल से स्वयं शपथ लेते हैं।इसके बाद सदन में मौजूद सभी नवनिर्वाचित विधायकों को एक-एक कर शपथ दिलवाते हैं। शपथ के बाद ही विधायक सदन में बोलने, प्रस्ताव लाने और मतदान करने के अधिकार प्राप्त करते हैं। शपथ ग्रहण के समय सदन का माहौल बेहद औपचारिक होता है और प्रोटेम स्पीकर पूरी प्रक्रिया को संवैधानिक तरीके से चलाते हैं।
स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया भी प्रोटेम स्पीकर ही कराते हैं
जब सभी विधायक शपथ ले लेते हैं, उसके बाद सदन में नियमित स्पीकर का चुनाव कराया जाता है। इस प्रक्रिया की अध्यक्षता भी प्रोटेम स्पीकर करते हैं। वे नामांकन, प्रस्ताव, समर्थन और मतदान की पूरी प्रक्रिया को संचालित करते हैं। जब नया स्पीकर चुना जाता है, तब प्रोटेम स्पीकर अपनी जिम्मेदारी नए अध्यक्ष को सौंप देते हैं और उनकी भूमिका समाप्त हो जाती है।
क्यों महत्वपूर्ण है प्रोटेम स्पीकर का पद?
यूं तो यह पद बहुत कम समय के लिए होता है, लेकिन इसकी अहमियत अत्यंत संवैधानिक है। अगर प्रोटेम स्पीकर न हों, तो न नए विधायक शपथ ले पाएंगे और न ही सदन की कार्यवाही शुरू हो सकेगी। यही पद विधानसभा के गठन और कार्यप्रणाली के बीच एक पुल का काम करता है। वरिष्ठता और निष्पक्षता ही इस पद के चयन का आधार होती है, ताकि सदन की शुरुआत बिना विवाद और व्यवधान के हो सके।
अक्सर वरिष्ठतम विधायक ही क्यों बनते हैं प्रोटेम स्पीकर?
वरिष्ठ विधायक सदन की परंपराओं से अच्छी तरह परिचित होते हैं। उनकी राजनीतिक समझ, अनुभव और मर्यादित व्यवहार उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि सबसे वरिष्ठ विधायक किसी पार्टी से न हों, फिर भी उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, क्योंकि यह पद पूरी तरह से राजनीतिक संतुलन से परे होता है।
प्रोटेम स्पीकर भले ही कुछ दिनों के लिए सदन का संचालन करता है, लेकिन उसकी भूमिका विधानसभा की शुरुआत के लिए अत्यंत आवश्यक है। वह नए विधायकों को शपथ दिलवाकर सदन की मूल संरचना तैयार करता है और फिर स्पीकर के चुनाव के बाद अपनी जिम्मेदारियाँ सौंप देता है। यह पद लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पहली सीढ़ी है, जिसके बिना विधानसभा का विधिवत गठन संभव नहीं है।